काबुल. अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सिर्फ पंजशीर घाटी को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. पंजशीर को कब्जाने के लिए सोमवार से तालिबान और नॉर्दन अलायंस के बीच जंग चल रही है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के लड़ाकों ने मंगलवार रात को भी पंजशीर इलाके में घुसपैठ की कोशिश की. तालिबान ने एक पुल उड़ाकर नॉर्दन अलायंस के लड़ाकों के बचकर निकलने का रास्ता बंद करने की भी कोशिश की है.
वहीं दूसरी तरफ नॉर्दर्न एलायंस की ओर से दावा किया गया है कि बीती रात खावक में हमला करने आए तालिबान के करीब 350 लड़ाकों को मार गिराया गया है. ट्विटर पर नॉर्दर्न एलायंस की ओर से किए गए दावे के मुताबिक 40 से अधिक तालिबानी लड़ाकों को कब्जे में भी ले लिया गया है. नॉर्दर्न एलायंस को इस दौरान कई अमेरिकी वाहन, हथियार हाथ लगे हैं.
स्थानीय पत्रकार नातिक मालिकज़ादा ने पंजशीर में जंग को लेकर ट्वीट किए हैं. उनके मुताबिक, अफगानिस्तान के पंजशीर के एंट्रेंस पर गुलबहार इलाके में तालिबान लड़ाकों और नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाकों के बीच मुठभेड़ हुई है. तालिबान ने यहां एक पुल उड़ा दिया है. ये पुल गुलबहार को पंजशीर से जोड़ता था. इसके अलावा नॉर्दन अलायंस के कई लड़ाकों को पकड़ा गया है.
कहां है पंजशीर?
काबुल से 150 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी हिंदुकुश के पहाड़ों के करीब है. उत्तर में पंजशीर नदी इसे अलग करती है. पंजशीर का उत्तरी इलाका पंजशीर की पहाडिय़ों से भी घिरा है. वहीं, दक्षिण में कुहेस्तान की पहाडिय़ां इस घाटी को घेरे हुए हैं. ये पहाडिय़ां सालभर बर्फ से ढकी रहती हैं. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि पंजशीर घाटी का इलाका कितना दुर्गम है. इस इलाके का भूगोल ही तालिबान के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है. कभी पंजशीर के शेर अहमद शाह मसूद का गढ़ रहे इस इलाके से विरोध का झंडा उनके बेटे अहमद मसूद ने उठाया है. वो लोगों को जंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं. उनके साथ अशरफ गनी सरकार में उप राष्ट्रपति रहे अमरुल्लाह सालेह भी हैं.
अब तक कोई जीत नहीं पाया पंजशीर
1980 के दशक में सोवियत संघ का शासन, फिर 1990 के दशक में तालिबान के पहले शासन के दौरान अहमद शाह मसूद ने इस घाटी को दुश्मन के कब्जे में नहीं आने दिया. पहले पंजशीर परवान प्रोविंस का हिस्सा थी. 2004 में इसे अलग प्रोविंस का दर्जा मिल गया. अगर आबादी की बात करें तो 1.5 लाख की आबादी वाले इस इलाके में ताजिक समुदाय की बहुलता है. मई के बाद जब तालिबान ने एक बाद एक इलाके पर कब्जा करना शुरू किया, तो बहुत से लोगों ने पंजशीर में शरण ली. तब से यहां से तालिबान को लगातार कड़ी चुनौती मिल रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-हे भारतीय न्यूज चैनलों! अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान लौट आओ, कोई तुमसे कुछ नहीं कहेगा?
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