संजय सक्सेना, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. यूपी में चुनाव सिर्फ विकास के नाम पर नहीं जीते जाते हैं,इसके लिए और भी तरह-तरह के टोटके आजमाए जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि यूपी में हमेशा से ही विकास की सियासत पर जातिवादी राजनीति का दबदबा रहा है. यहां वोट बैंक की सियासत फलती-फूलती है. इसी लिए तमाम राजनैतिक दलों को जातीय सम्मेलन कराना पड़ता है. किस लोकसभा या विधान सभा क्षेत्र में किस जाति के कितने वोटर हैं,इसके आधार पर प्रत्याशी तय किए जाते हैं. इसके लिए बाकायदा आकड़े जुटाए जाते हैं. इतना ही नहीं, सरकारी योजनाओं तक को लागू करने में जतीय गणित का ख्याल रखा जाता है. इसी लिए सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास की बात करने वाली भाजपा को भी प्रबुद्ध सम्मेलन कराने की जरूत पड़ जाती है. इसी लिए चुनाव की आहट सुनाई पड़ते ही सपा-बसपा के बाद अब भाजपा ने भी हर वर्ग का प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का आयोजन कराने का फैसला लिया है. इन सम्मेलनों से मिले फीडबैक के आधार पर बीजेपी आगे की राह तय करेगी. यह सम्मेलन पार्टी का घोषणा पत्र बनाने,चनावी माहौल तैयार करने के लिए भी ‘मील का पत्थर’ साबित होगा.
पांच सितंबर से प्रदेश की सभी विधानसभा क्षेत्रों में इसका आयोजन किया जाएगा. इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत प्रदेश और केंद्र में यूपी के सभी मंत्री शिरक्त करेंगे.उक्त सम्मेलनों के सहारे बीजेपी सरकार से लोगों की नाराजगी समझने की कोशिश करेगी. दरअसल, कोरोना काल और पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान योगी सरकार से कुछ लोग खुश हुए तो कुछ नाराज भी रहे. योगी सरकार और संगठन अब इस प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के जरिए इस आगे की रणनीति बनाने की कोशिश करेगी ताकि खुश लोगों को कैसे आगे भी खुश रखा जाए और जो नाराज चल रहे हैं,उनको कैसे मनाया जाए,इस पर काम किया जा सके. प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में विधानसभा क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों जैसे समाल सेवकों, प्रोफेसर, शिक्षक, डाक्टर-इंजीनियर, लेखकों, साहित्यकारों, व्यापारियों,खिलाड़ी, अधिवक्ताओं को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाएगा. ताकि इनसे जनता की नाराजगी का पता लगाकर उसे समय रहते दूर किया जा सके.
बीजेपी प्रबुद्ध सम्मेलनों के माध्यम से अपने चुनावी घोषणा पत्र के लिए फीडबैक भी लेगी. हर चुनाव से पहले बीजेपी ने फीडबैक लेने का सिस्टम तैयार कर रखा है. इसके बाद इन सभी फीडबैक को एकत्र करके उसमें से आम समस्या या सुझाव, जिनसे ज्यादा जनता प्रभावित हो रही हो, उसे बीजेपी अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेगी. इन सम्मेलनों से बीजेपी चुनावी माहौल भी तैयार करने में जुटी है. उत्तर प्रदेश में अपराध रोकने के लिए बदमाशों के एनकाउंटर, उनकी संपत्तियों को कुर्क करने जैसा मुद्दा उठाया जाएगा. राम मंदिर और काशी कॉरिडोर का जिक्र भी इन सभाओं में किया जाएगा.
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री व प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन अभियान के प्रभारी सुब्रत पाठक ने बताया कि पार्टी द्वारा आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रबुद्धजन इस सम्मेलन में शामिल होंगे. 5 सितंबर को प्रदेश के 17 महानगरों में और 6 सितंबर से 20 सितंबर के बीच प्रदेश के सभी 403 विधानसभाओं में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. इन सम्मेलनों की शुरूआत के क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी में, प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह प्रयागराज में, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अयोध्या में, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल लखनऊ में, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कानपुर में, प्रदेश सह संगठन महामंत्री कर्मवीर सहारनपुर में 5 सितंबर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरुआत करेंगे. इसी प्रकार से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा चित्रकूट में, राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह मथुरा में, राष्ट्रीय मंत्री विनोद सोनकर आगरा में, केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान गाजियाबाद में, वीके सिंह मेरठ में, साध्वी निरंजन ज्योति झांसी में, भानु प्रताप वर्मा मुरादाबाद में, कौशल किशोर नोएडा में, बीएल वर्मा बरेली में, पंकज चौधरी गोरखपुर में, अजय मिश्रा टेनी शाहजहांपुर में सम्मिलित होकर पार्टी द्वारा आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरुआत करेंगे. वहीं 6 सितंबर से 20 सितंबर के बीच पार्टी के राष्ट्रीय व प्रदेश के पदाधिकारीगण भी प्रदेश की सभी विधानसभाओं में पार्टी द्वारा आयोजित प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में सम्मिलित होकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रबुद्धजनों से संवाद करेंगे.देखना यह है कि बीजेपी को इन सम्मेलनों से कितना फायदा होता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तर प्रदेश में कक्षा 6 से 8 तक के स्कूल आज से खुलेंगे
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