अभिमनोजः किसान आंदोलन! फायदा किसी का भी हो, लेकिन नुकसान बीजेपी का तय है?

अभिमनोजः किसान आंदोलन! फायदा किसी का भी हो, लेकिन नुकसान बीजेपी का तय है?

प्रेषित समय :07:14:34 AM / Sun, Sep 19th, 2021

नजरिया. मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को एक साल हो गया है और इन कानूनों को रद्द करने के लिए किसान आंदोलन चलते-चलते भी लंबा समय गुजर चुका है, परन्तु इसका कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा है?

नतीजा यह है कि किसान आंदोलन का फायदा किसे होगा यह तो कहना मुश्किल है, लेकिन नुकसान बीजेपी का होना तय है? खासकर- पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान आदि राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए तगड़ी चुनौती होगी!

पंजाब में तो बीजेपी पहले से ही कमजोर थी और अब किसान आंदोलन के बाद तो बीजेपी के लिए कोई खास संभावना नजर ही नहीं आ रही है?

खबर थी कि शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों का एक साल पूरा होने पर शुक्रवार को दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद भवन तक विरोध मार्च- ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च, निकाला. शिअद का कहना था कि देशभर में इन काले कृषि कानून के खिलाफ किसानों में रोष है और इनके खिलाफ किसान तकरीबन दस माह से प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि 17 सितंबर, 2020 को संसद में तीन काले कृषि विधेयक पारित हुए थे, लिहाजा 17 सितंबर को ब्लैक फ्राइडे के रूप में मनाया गया?

अकाली दल ने कहा था कि विरोध मार्च गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद भवन तक निकाला जाएगा जिसका नेतृत्व शिअद प्रमुख सुखबीर बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल करेंगी.

ये तीनों कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद में पारित हुए थे और हरसिमरत ने इनके विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

सियासी सयानों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल में से किसे किसान विश्वसनीय मानते हैं? इसका फैसला तो विधानसभा चुनाव के नतीजों में ही होगा!

ठोको ताली! लेकिन, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नितिन पटेल के सियासी दर्द में फर्क क्या है?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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