प्रदीप द्विवेदी. पंजाब में कांग्रेस ने एक दलित चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम की कुर्सी पर बैठाया तो, उधर यूपी में मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर सियासी हमला बोल दिया और इसे चुनावी हथकंडा करार दिया!
बात में दम है, लेकिन सब तो इसी में लगे हैं?
मोदीजी काहे बता रहे हैं कि उनकी सरकार में कितने मंत्री दलित-पिछड़े हैं? गुजरात में काहे बीजेपी ने पटेल मुख्यमंत्री बनाया? मायावती बहन काहे ब्राह्मणों का जयकारा लगा रहीं हैं?
ब्राह्मणों के दम पर पहले मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं, लिहाजा इस बार ऐलान कर दो कि यूपी में बसपा का सीएम फेस ब्राह्मण होगा!
खैर, ऐसा न बसपा करेगी, न सपा और न ही बीजेपी करेगी?
यूपी और ब्राह्मण के सियासी संबंधों को लेकर प्रमुख पत्रकार शकील अख्तर @shakeelNBT ने मजेदार टिप्पणी की है....
कांग्रेस के पास तो यूपी में कुछ खोने को है ही नहीं, मगर हलचल मचाने के लिए बहुत कुछ है!
बसपा, सपा बनाएगी नहीं, भाजपा बना नहीं सकती केवल एक कांग्रेस है जो अनाउंस कर सकती है.
लास्ट ब्राह्मण मुख्यमंत्री भी उसी का था, 1989 में नारायण दत्त तिवारी. नोएडा जैसा नया शहर बना गए.
उसके बाद बदल-बदल कर तीनों पार्टियों का शासन आया. दलित, यादव, लोधी, वणिक, ठाकुर सबको बनाया, मगर ब्राह्मण को किसी ने नहीं.
आज सब दल ब्राह्मण के पीछे भाग रहे हैं, मगर कोई यह ऐलान नहीं कर रहा कि पिछले 32 साल से जिसे मौका नहीं मिला जीतने पर उसे बनाएंगे.
कांग्रेस सबकी पार्टी है. पंजाब में दलित बनाया, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में ओबीसी हैं, उत्तराखंड में ठाकुर हरीश रावत के चांस हैंं.
इधर, उत्तर प्रदेश में यह पहली बार है जब ब्राह्मण खुद को एक वोट बैंक में तब्दील होते देख रहा है. अभी तक वह मुख्यमंत्री बनाता था, अब उसे केवल वोट के रूप में देखा जा रहा है. पिछले चार साल में उसकी माहौल बनाने की और बाकी दूसरी शक्तियां खत्म हो गई हैं.
जितिन प्रसाद इतने अरमानों से गए, मगर भाजपा कोई उपयोग नहीं कर रही है. रीता बहुगुणा को भी कोई नहीं पूछ रहा. ब्राह्मण जो कभी राजनीति के केंद्र में रहता था, समाज चलाता था आज हाशिए पर हैं.
दूर-दूर तक उसे सत्ता में वापसी का कोई जरिया नहीं दिख रहा.
ऐसे में कोई मुख्यमंत्री की बात करता है तो क्या वह उसकी तरफ नहीं खिंचेगा? कांग्रेस के पास तो यूपी में कुछ खोने को है ही नहीं मगर हलचल मचाने के लिए बहुत कुछ है!
प्रदीप द्विवेदी. पंजाब में कांग्रेस ने एक दलित चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम की कुर्सी पर बैठाया तो, उधर यूपी में मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर सियासी हमला बोल दिया और इसे चुनावी हथकंडा करार दिया!
बात में दम है, लेकिन सब तो इसी में लगे हैं?
मोदीजी काहे बता रहे हैं कि उनकी सरकार में कितने मंत्री दलित-पिछड़े हैं? गुजरात में काहे बीजेपी ने पटेल मुख्यमंत्री बनाया? मायावती बहन काहे ब्राह्मणों का जयकारा लगा रहीं हैं?
ब्राह्मणों के दम पर पहले मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं, लिहाजा इस बार ऐलान कर दो कि यूपी में बसपा का सीएम फेस ब्राह्मण होगा!
खैर, ऐसा न बसपा करेगी, न सपा और न ही बीजेपी करेगी?
यूपी और ब्राह्मण के सियासी संबंधों को लेकर प्रमुख पत्रकार शकील अख्तर @shakeelNBT ने मजेदार टिप्पणी की है....
कांग्रेस के पास तो यूपी में कुछ खोने को है ही नहीं, मगर हलचल मचाने के लिए बहुत कुछ है!
बसपा, सपा बनाएगी नहीं, भाजपा बना नहीं सकती केवल एक कांग्रेस है जो अनाउंस कर सकती है.
लास्ट ब्राह्मण मुख्यमंत्री भी उसी का था, 1989 में नारायण दत्त तिवारी. नोएडा जैसा नया शहर बना गए.
उसके बाद बदल-बदल कर तीनों पार्टियों का शासन आया. दलित, यादव, लोधी, वणिक, ठाकुर सबको बनाया, मगर ब्राह्मण को किसी ने नहीं.
आज सब दल ब्राह्मण के पीछे भाग रहे हैं, मगर कोई यह ऐलान नहीं कर रहा कि पिछले 32 साल से जिसे मौका नहीं मिला जीतने पर उसे बनाएंगे.
कांग्रेस सबकी पार्टी है. पंजाब में दलित बनाया, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में ओबीसी हैं, उत्तराखंड में ठाकुर हरीश रावत के चांस हैंं.
इधर, उत्तर प्रदेश में यह पहली बार है जब ब्राह्मण खुद को एक वोट बैंक में तब्दील होते देख रहा है. अभी तक वह मुख्यमंत्री बनाता था, अब उसे केवल वोट के रूप में देखा जा रहा है. पिछले चार साल में उसकी माहौल बनाने की और बाकी दूसरी शक्तियां खत्म हो गई हैं.
जितिन प्रसाद इतने अरमानों से गए, मगर भाजपा कोई उपयोग नहीं कर रही है. रीता बहुगुणा को भी कोई नहीं पूछ रहा. ब्राह्मण जो कभी राजनीति के केंद्र में रहता था, समाज चलाता था आज हाशिए पर हैं.
दूर-दूर तक उसे सत्ता में वापसी का कोई जरिया नहीं दिख रहा.
ऐसे में कोई मुख्यमंत्री की बात करता है तो क्या वह उसकी तरफ नहीं खिंचेगा? कांग्रेस के पास तो यूपी में कुछ खोने को है ही नहीं मगर हलचल मचाने के लिए बहुत कुछ है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी में गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए गए पांच लोग नदी में डूबे, तलाश में जुटे गोताखोर
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