नजरिया. पंजाब उन राज्यों में से नहीं है जहां मोदी का जादू चलता हो, फिर भी किसान आंदोलन से पहले तक पंजाब में बीजेपी के लिए कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन किसान आंदोलन ने बीजेपी को पंजाब से तकरीबन बाहर ही कर दिया है, ऐसे में बड़ा सवाल है कि- क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह के दम पर पंजाब में फिर से बीजेपी के अच्छे दिन आएंगे?
पंजाब में सियासी हालात तेजी से बदले हैं, कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएम पद से इस्तीफा दे चुके हैं, तो नवजोत सिद्धू भी पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं!
अब इन दोनों नेताओं का भविष्य इस पर निर्भर है कि वे आगे क्या राजनीतिक फैसले लेते हैं?
वैसे, पंजाब के सियासी इतिहास पर नजर डालें, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रभावी नेता रहे हैं.
याद रहे, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी लहर का जोर था तब कैप्टन ने चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता अरुण जेटली को हरा दिया था.
कैप्टन ने पंजाब में आधी सदी से ज्यादा सियासत में सक्रिय भूमिका निभाई है, तो नौ साल से ज्यादा समय वे मुख्यमंत्री भी रहे हैं.
यही वजह है कि यह माना जा रहा है कि यदि बीजेपी को कैप्टन का सहारा मिल गया तो वह पंजाब में फिर से अच्छे दिनों के ख्वाब देख सकती है!
उधर, अमित शाह और कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुलाक़ात के बाद सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है और इस मुलाकात के बाद उन्होंने बताया कि- वे किसानों के आंदोलन को लेकर गृहमंत्री से मिले और कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग की!
सियासी सयानों का मानना है कि पंजाब के किसान बीजेपी से खासे नाराज हैं, लिहाजा यदि कैप्टन किसानों के लिए सम्मानजनक समाधान निकलवाने में सफल हो जाते हैं, तो बीजेपी को पंजाब में राजनीतिक उम्मीद की किरण नजर आ सकती है?
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