प्रदीप द्विवेदीः यदि 2024 में जीत चाहिए, तो ममता बनर्जी को सियासी धैर्य दिखाना होगा!

प्रदीप द्विवेदीः यदि 2024 में जीत चाहिए, तो ममता बनर्जी को सियासी धैर्य दिखाना होगा!

प्रेषित समय :07:02:15 AM / Mon, Oct 4th, 2021

न्यूज-व्यूज. भवानीपुर में ममता बनर्जी की जीत कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं है, यह तो होना ही था, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी न केवल हारी थी, बल्कि मीडिया की मदद से बंगाल में बीजेपी की जो शानदार रंगीन तस्वीर बनाई गई थी, वह भी पूरी तरह से बेरंग हो गई?

यही वजह है कि इसके बाद बने सियासी निराशा के माहौल के कारण टीएमसी के जो बड़े-बड़े नेता टीएमसी छोड़कर बीजेपी में गए थे, वे भी टीएमसी में लौट आए!

ममता बनर्जी के चुनाव अभियान का जिम्मा संभालने वाले तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम का प्रेस को कहना है कि- भवानीपुर में ममता बनर्जी की जीत कोई मुद्दा नहीं थी. हमारा लक्ष्य था जीत के अंतर को बढ़ाना और भवानीपुर से पूरे देश को संदेश देना. टीएमसी को इसमें भारी कामयाबी मिली है. अब हमारा लक्ष्य वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली की कुर्सी से हटाना है. वही असली जीत होगी?

इसमें यह तो साफ हो गया कि ममता बनर्जी का असली लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है, लेकिन इसे लेकर दो बड़े सवाल हैं....

एक- क्या ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं?

दो- क्या ममता बनर्जी पीएम मोदी को हटाना चाहती है?

यदि ममता बनर्जी प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, तो कामयाबी मिलना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उनके पास नेशनल लेवल पर कोई संगठन नहीं है और न ही इतने कम समय में बन सकता है. बंगाल से बाहर उनकी पहचान तो है, परन्तु इसके दम पर सीटें नहीं मिल सकती हैं.

याद रहे, बीजेपी भी लोकसभा चुनाव में जो सीटें लाई है, वे मोदी के दम पर नहीं, संघ के दम पर लाई है.

प्रधानमंत्री पद के दावेदार तो कई नेता हो सकते हैं, लेकिन एक सौ से ज्यादा सीटें जीतने की क्षमता- कांग्रेस और बीजेपी, केवल दो ही दलों में है.

लिहाजा, सबसे बड़े दल को नेतृत्व देने पर ही विपक्षी दल, मोदी को बड़ी चुनौती दे सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि योग्यता के आधार पर तो एनडीए में प्रधानमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार सबसे योग्य माने जा सकते हैं, लेकिन वे कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे!

यदि ममता बनर्जी, मोदी को केंद्र से हटाना चाहती हैं, तो उन्हें चौधरी देवीलाल जैसी भूमिका में आना होगा?

अस्सी के दशक में नवभारत टाइम्स के लिए माही रेस्ट हाउस, बांसवाड़ा में बातचीत के दौरान चौधरी देवीलाल ने मुझसे कहा था कि- वे तो केवल और केवल तमाम विपक्षी दलों को जोड़ने के अभियान पर ही आगे बढ़ना चाहते हैं. कोई और लक्ष्य नहीं है!

और.... 2 दिसंबर, 1989 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में जनता दल के सांसदों की बैठक हुई, जिसमें देवीलाल के नाम की घोषणा हुई, परन्तु चौधरी देवीलाल ने वीपी सिंह का नाम प्रस्तावित कर दिया.

चौधरी देवीलाल चाहते तो प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया?

सियासी सयानों का मानना है कि यदि ममता बनर्जी, चौधरी देवीलाल जैसी सियासी भूमिका निभाने में कामयाब हो गई, तो मोदी को केंद्र से हटाने में भी सफलता मिल सकती है, क्योंकि मोदी जनता का भरोसा तो खो चुके हैं, लेकिन विपक्षी वोटों का बिखराव अभी भी मोदी के लिए सियासी उम्मीद की किरण है!

https://twitter.com/PalpalIndia/status/1442300869811191809

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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