सर्व पितृ दोष, काल सर्प दोष और संकटो को दूर करने के लिये अति उत्तम, जानें अमावस्या श्राद्ध का मुहूर्त

सर्व पितृ दोष, काल सर्प दोष और संकटो को दूर करने के लिये अति उत्तम, जानें अमावस्या श्राद्ध का मुहूर्त

प्रेषित समय :20:12:43 PM / Tue, Oct 5th, 2021

सर्व पितृमोक्ष अमावस्या 6 अक्टूबर 2021 को है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है श्राद्ध कर्म में इस तिथि का बड़ा महत्व माना गया है, शास्त्रों में इसे मोक्षदायिनी अमावस्या कहा गया है, आइए जानते हैं पितरों के तर्पण के लिए यह तिथि सबसे महत्वपूर्ण क्यों है.. अमावस्या तिथि मनुष्य की जन्मकुंडली में बने हुए *पितृदोष-मातृदोष* से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान एवं श्राद्ध के लिए अक्षय फलदायी मानी गई है. शास्त्रों में इस तिथि को 'सर्वपितृ श्राद्ध' तिथि भी माना गया है. 

बुधवार 6 अक्टूबर 2021 को पितृ दोष, काल सर्प दोष और जीवन के सभी प्रकार के संकटो को दूर करने के लिये अति उत्तम कहा गया है.

और आज ही के दिन पितृ प्रसन्न होकर साक्षात अपना दिव्य आशीर्वाद दे दें, तो जीवन के सभी कष्टों से शीघ्र ही छुटकारा मिलने लगता है, कहते है जो व्यक्ति पितृपक्ष के पन्द्रह दिनों तक तर्पण ,श्राद्ध आदि नहीं कर पाते अथवा जिन लोगो को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हो, उन सभी लोगो के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि पितृ मोक्ष अमावस्या यानी आज को किया जा सकता है. 

शास्त्रीय मान्यता है कि सर्व पितृ दोष अमावस्या अथवा महालया को पितरों के निमित तर्पण, श्राद्ध, एवं दान करने से पितृ अपने वंशजो से अत्यंत प्रसन्न रहते है और उसके जीवन में कोई भी संकट किसी भी वस्तु का आभाव नहीं रहता है, पितृ पक्ष के अंतिम दिन अर्थात सर्व पितृ दोष अमावस्या के दिन में किसी भी समय,स्टील के लोटे में, दूध ,पानी,काले और सफ़ेद तिल एवं जौ मिला ले.

इसके साथ कोई भी सफ़ेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के, तथा एक जनेऊ लेकर पीपल वृक्ष के नीचे जाकर सर्व प्रथम लोटे की समस्त सामग्री पीपल की जड़ में अर्पित कर दे, तथा इस मंत्र का जाप भी लगातार करते रहें, *"ओउम् सर्व पितृ देवताभ्यो नमः"*  इसके पश्चात *"ओउम् प्रथम पितृ नारायणाय नमः"* मंत्र को पड़ते हुए पीपल पर जनेऊ अर्पित करें.

इसके पश्चात पीपल वृक्ष के नीचे मिठाई, दक्षिणा तथा नारियल रखकर दो अगरबत्ती जलाकर "ओउम् नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र को पड़ते हुए सात बार परिक्रमा करे, अंत में भगवान विष्णु से प्रार्थना करे कि मुझ पर और मेरे पूरे वंश पर आपकी तथा हमारे पित्रो की सदैव कृपा बनी रहे.

इस क्रिया से जातक को पित्रो की कृपा प्राप्त होती है, जीवन में अस्थिरतायें नहीं आती, तथा जीवन में सभी क्षेत्रों में मनवाँछित सफलता प्राप्त होती है, इसलिये यह प्रयोग अवश्य ही करना चाहियें, सभी मनुष्यों को अमावस्या के दिन दान भी अवश्य ही करना चाहिये.

चाहे आप श्राद्ध के अधिकारी है अथवा नहीं, चाहे आपने अपने पितरों का श्राद्ध किसी और दिन ही क्यों ना किया हो, लेकिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या को हर जातक को किसी भी योग्य ब्राह्मण को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य ही करना चाहिये, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन किये गए दान का मनुष्यो को अनंत गुना फल मिलता है,अमावस्या के दिन किये गए दान पितरों के लिए स्वर्ग के द्वार खुलते है, और वह प्रसन्न होकर अपने वंशज की सभी मनोकामनाओं एवम् इच्छाओं को पूर्ण करते है.

अमावस्या श्राद्ध

बुधवार, अक्टूबर 6, 2021 को

कुतुप मूहूर्त - 11:34 ए एम से 12:22 पी एम

अवधि - 00 घण्टे 47 मिनिट्स

रौहिण मूहूर्त - 12:22 पी एम से 01:09 पी एम

अवधि - 00 घण्टे 47 मिनट्स

अपराह्न काल - 01:09 पी एम से 03:31 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 22 मिनट्स

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 05, 2021 को 07:04 पी एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 06, 2021 को 04:34 पी एम बजे

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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