नजरिया. पीएम नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विकास जैसे सैद्धांतिक जुमले भले ही उछालते हों, लेकिन उनकी प्रायोगिक सोच शेष दलों से अलग नहीं है, लिहाजा यह तय है कि चुनाव में विकास की नहीं, जाति-धर्म की राजनीति ही चलेगी?
जो जाति वोट दिला दे, जो धर्म वोट दिला दे, जो दलबदलू वोट दिला दे- चाहे वो अच्छा हो या भ्रष्ट हो, सब चलेगा, बस वोट मिलने चाहिए, सत्ता मिलनी चाहिए!
यूपी का विधानसभा चुनाव भी जाति-धर्म के आधार पर ही लड़ा जाएगा?
कोई ब्राह्मणों को मना रहा है, कोई पिछड़ों को साध रहा है, कोई एक धर्म का ठेकेदार बना है, तो कोई दूसरे धर्म का, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अपनी पसंद की जाति-धर्म वालों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कौन क्या कर रहा है?
खबर है कि योगी सरकार का दूसरी बार कैबिनेट विस्तार हुआ है और 7 नए मंत्रियों ने शपथ ली है. सबसे पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए जितिन प्रसाद ने शपथ ली, जो पहले ब्राह्मण हित के लिए बीजेपी सरकार पर निशाना साध रहे थे, अब उनके कंधों पर नाराज ब्राह्मणों को साधने की जिम्मेदारी है? जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनमें 3 ओबीसी, 2 दलित, 1 एसटी और 1 ब्राह्मण चेहरा हैं!
सियासी सयानों का मानना है कि जाति-धर्म की राजनीति तभी खत्म होगी, जब मतदाता जाति-धर्म को भूलाकर असली मुद्दों पर मतदान करेंगे?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-योगी मंत्रिमंडल का विस्तार, जातीय समीकरण पर ज़ोर
— ashutosh (@ashutosh83B) September 26, 2021
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