इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी: राम व कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान, राम के बिना भारत अधूरा है

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी: राम व कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान, राम के बिना भारत अधूरा है

प्रेषित समय :21:15:56 PM / Sat, Oct 9th, 2021

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया में भगवान राम व श्रीकृष्ण को लेकर अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसा अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है. इसमें कुछ प्रतिबंध भी है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव की अर्जी पर दिया है. भगवान राम व कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है. राम व कृष्ण का अपमान पूरे देश का अपमान है. हम जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है. कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की रही है. हम सर्वे भवन्तु सुखिन:,सर्वे सन्तु निरामया:. सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दु:ख भाग भवेत.. की कामना करने वाले लोग हैं.

कोर्ट ने कहा कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है. मुकदमे का विचारण शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद, इसलिए उसे सशर्त जमानत पर रिहा किया जाए. याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर अश्लील पोस्ट डाली. वह निर्दोष है और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता.

सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद में अपने मामा के घर गया था, जहां उसने अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है और एफआईआर दर्ज होते ही मोबाइल फोन व सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी है. संविधान बहुत उदार है. धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है लेकिन इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह अपराध है. ईद पर गोवध पर पाबंदी है. वध करना अपराध है. सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है. राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं, बल्कि अपराध है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदी में बहस, निर्णय भी हिंदी में सुनाए गए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ASI सर्वेक्षण पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट को जल्द 16 नये न्यायाधीश, वर्तमान में 92 जज ही कार्यरत

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी: गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए, गोरक्षा हिंदुओं का मौलिक अधिकार बने

पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा होने पर संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

शादी के बावजूद लिव-इन में रहने पर नौकरी से बर्खास्‍त नहीं कर सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Leave a Reply