भरतपुर. 17 साल की आरती प्रजापत अपने दादा-दादी से मिलने साइकिल से जयपुर से भरतपुर पहुंच गईं. आरती ने जयपुर से 216 किलोमीटर तक का सफर तय किया. आरती की दादी की तबीयत खराब थी. जैसे ही उसे पता लगा तो वह अपनी दादी से मिलने के लिए साइकिल से निकल गईं. दादा-दादी से मिलने डहरा गांव जाते समय वह रास्ता भटक गईं और आगरा की तरफ निकल गईं.
आरती ने देखा की उत्तर प्रदेश का फतेहपुर सीकरी मात्र 15 किलोमीटर का बोर्ड लगा है तो उन्हें अहसास हुआ कि वह रास्ता भटक गई हैं. आरती लौटीं और सही रास्ता पकड़ कर अपने दादा-दादी के घर पहुंचीं. वह 20 किलोमीटर आगे चली गई थीं. इस तरह आरती का सफर 40 किलोमीटर अधिक रहा.
साइकिल से रिश्तेदारों से मिलने का सपना
आरती ने बताया कि उसका सपना है कि वह अपने सभी रिश्तेदारों से मिलने के लिए साइकिल से जाएं. इसके बारे में उन्होंने अपने माता-पिता को बताया. माता-पिता भी आरती के सपने को पूरा करने के लिए उसको सपोर्ट करते हैं. फिलहाल आरती डेहरा गांव में अपने दादा रामकिशन और दादी लज्जा देवी के पास हैं. वह रविवार को जयपुर के लिए साइकिल से ही रवाना होंगी.
मां ने समझाया था कि दशहरा बाद चलेंगे
आरती को जब पता चला कि उसकी दादी की तबियत खराब है तो उन्होंने दादी से मिलने की जिद की. मां ने समझाया कि दशहरा के बाद चलेंगे, लेकिन आरती अकेली अपने दादा-दादी से मिलने के लिए साइकिल से निकल गईं. वह 13 तारीख को, यानी बुधवार को जयपुर के अर्जुन नगर से सुबह 4.30 बजे निकली थीं. वह शाम 7 बजे भरतपुर पहुंच गई. आरती के पिता को नहीं पता था कि वह भरतपुर जा रही हैं. जयपुर से निकलने के बाद आरती के पिता ब्रजेश का फोन आया तब जाकर आरती ने बताया कि वह दादा-दादी से मिलने के लिए भरतपुर जा रही है. आरती ने बताया की जयपुर से भरतपुर आने के रास्ते में उसकी साइकिल की चेन कई बार उतरी, जिसे उसने खुद ही ठीक किया.
साइकिल से सफर करने का है शौक
आरती 11वीं क्लास में पढ़ती हैं. उन्हें साइकिल से सफर करने का शौक है. आरती की एक बड़ी बहन और एक बड़ा भाई भी है, जो पढ़ाई कर रहे हैं. पिता ब्रजेश जयपुर के अर्जुन नगर में किराना की दुकान चलाते हैं. दादी और दादा भरतपुर के डेहरा गांव में रहते हैं. आरती की दादी लज्जा देवी डेहरा गांव के आंगनबाड़ी में सहायिका के पद पर काम करती हैं, जिसके कारण वे गांव में ही रहते हैं. उसकी दादी को मौसमी बीमारी थी. उन्हें बुखार था.
पिता बोले- वह इस तरह पहली बार शहर से बाहर गई
आरती के पिता ब्रजेश ने बताया कि वह पहली बार इस तरह शहर से बाहर गई है. वह रोजाना करीब 50 किलोमीटर साइकिल चलाती है. पहले अकेले साइकिल चलाने जाती थी, तो उसकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंता होती थी. जयपुर के कुछ अफसरों को आरती के बारे में पता लगा तो उन्होंने आरती को प्रोत्साहित किया. इसके बाद उसके सभी परिजन काफी सपोर्ट करने लगे. आरती के पिता ने बताया कि आरती को जयपुर के कई प्रशासनिक अधिकारी जानते हैं. वह उसे काफी प्रोत्साहित भी करते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कृषि की पढ़ाई करने वाली लड़कियों को 15 हजार रुपये तक देगी राजस्थान सरकार
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