नजरिया. बहुत हुई पेट्रोल की मार, अबकी बार मोदी सरकार! इस नारे की लाज रखी गई है, पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं, केवल टैक्स बढ़ाया गया है, मतलब.... पेट्रोल तो एक लीटर पानी से भी सस्ता मिल रहा है!
यह सच्चाई दीपक वर्मा के कार्टून में साफ नजर आती है, जो कह रहा है- सर! यह सब तो टैक्स है, पेट्रोल तो कॉम्प्लेमेंट्री है?
देश की वर्तमान वित्तमंत्री तो पता नहीं पेट्रोल का इस्तेमाल करती भी हैं या नहीं, इसलिए पेट्रोल के बढ़ते रेट से उनका कुछ खास लेना-देना है नहीं, लेकिन देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम का कहना था कि- केंद्र सरकार द्वारा टैक्स के जरिये पेट्रोल और डीजल के दामों को बढ़ाना उपभोक्ताओं से जबरन वसूली है.
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में चिदंबरम का कहना था कि- पेट्रोल की कीमत का एक तिहाई जो उपभोक्ता भुगतान करते हैं, केंद्र सरकार का टैक्स है. इसलिए, किसी भी वस्तु पर 33 प्रतिशत टैक्स लगाना जबरन वसूली है.
इस इंटरव्यू में चिदंबरम ने ईंधन की कीमतों का विवरण देते हुए एक्सप्लेन किया कि यदि कोई उपभोक्ता पेट्रोल के लिए 102 रुपये प्रति लीटर का भुगतान करता है, तो इसमें से 42 रुपये तेल कंपनियों के पास जाता है, जिसमें कच्चे तेल का प्रसंस्करण भी शामिल है, 33 रुपये केंद्र सरकार के पास और 24 रुपये राज्य सरकारों के टैक्स के रूप में जाते हैं, जबकि 4 रुपये डीलर के पास जाते हैं.
उनके अनुसार 102 रुपये में से 33 रुपये लगभग 33 प्रतिशत होता है, जो जबरन वसूली है!
बात तो सही है, लेकिन इस बेशर्म वसूली का सड़कों पर खुलकर विरोध कब करेगा विपक्ष, जैसा विपक्ष में रह कर नरेंद्र मोदी, स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह आदि करते थे?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कहाँ गया उसे ढूंढो...pic.twitter.com/ciGydZBtXF
— MANJUL (@MANJULtoons) October 11, 2021
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