प्रदीप द्विवेदी. यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लगातार यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या 2017 की तरह कांग्रेस-सपा सियासी गठबंधन होगा?
हालांकि, कांग्रेस-सपा गठबंधन की अभी तक कोई आहट नहीं है, क्योंकि दोनों दल चुनाव को लेकर एकला चालो की राह पर तैयारियों में जुटे हैं!
ऐसे समय में दिल्ली से लखनऊ की फ्लाइट में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव @yadavakhilesh और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी @priyankagandhi की बातचीत को लेकर ट्विटर पर राजनीतिक चर्चाएं जोरो पर हैं?
खबरें हैं कि दोनों नेता दिल्ली से लखनऊ के लिए विमान में चढ़े तो एक-दूसरे के सामने आ गए, इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया, तो इसी मौके का एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है!
दरअसल, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने सपा के साथ सत्ता की भागीदारी के मद्देनजर गठबंधन किया था, लेकिन कांग्रेस को सियासी फायदे की जगह नुकसान हो गया, वजह?
कांग्रेस किसी से भी गठबंधन करे, कांग्रेस को कुछ खास फायदा नहीं होना है, क्योंकि क्षेत्रीय दलों के समर्थकों को कांग्रेस से सियासी खतरा नजर आता है? जिसके कारण वोट ट्रांसफर नहीं होते हैं!
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी @RahulGandhi भी यूपी में लोकसभा चुनाव इसीलिए हार गए थे कि उनके खिलाफ सपा-बसपा का उम्मीदवार नहीं था, इनके वोट कांग्रेस के खिलाफ गए?
श्रीराम मंदिर आंदोलन के बाद कांग्रेस के हिन्दू वोट बीजेपी ले गई, तो दलित-मुस्लिम वोट क्षेत्रीय दलों के पास चले गए, लेकिन अब सियासी समीकरण बदल रहे हैं, बीजेपी के नाराज हिन्दू वोट कांग्रेस की ओर आ रहे हैं, तो क्षेत्रीय दलों से निराश दलित-मुस्लिम भी कांग्रेस की ओर लौट रहे हैं!
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में विभिन्न दलों ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनके सापेक्ष बीजेपी को 41 प्रतिशत से ज्यादा, सपा को 28 प्रतिशत से ज्यादा, तो कांग्रेस और बसपा को 22 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे, मतलब.... 7 प्रतिशत वोट का बदलाव यूपी चुनाव की सारी तस्वीर बदल सकता है?
यदि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती है और कुछ प्रतिशत वोट भी ज्यादा हांसिल करती है, तो उसे दोहरा लाभ होगा, एक तो कांग्रेस यूपी में सरकार बनाने की निर्णायक भूमिका में आ जाएगी और दो- लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले रहेंगे!
याद रहे, कांग्रेस ने अगर यूपी में पकड़ बना ली तो मोदी सरकार बड़ी परेशानी में आ जाएगी, क्योंकि सियासी हंगामा कितना ही हो, यूपी, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे केवल आधा दर्जन राज्य ही हैं, जिनके दम पर नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में हैं?
दक्षिण भारत और शेष राज्यों में बीजेपी के लिए कोई खास सियासी संभावनाएं नहीं हैं, तो पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में भी बीजेपी के लिए अब सवालिया निशान गहरा रहा है?
सियासी सयानों का मानना है कि 2017 का चुनाव कांग्रेस ने गठबंधन की सत्ता के लिए लड़ा था, इस बार संगठन की ताकत बढ़ाने के लिए अकेले चुनाव लड़ना चाहिए!
किसानों, महिलाओं और आमजन के लिए राहुल-प्रियंका ने जो आवाज बुलंद की है, उसका असर इस बार नजर आएगा?
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!!
(बशीर बद्र)
आज कुछ इस तरह आमने-सामने हुए @priyankagandhi और @yadavakhilesh
https://twitter.com/nadeemNBT/status/1451494118165680131
Loading...Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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