पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला, कैदी के लिए भी परिवार-पम्पराएं जरूरी, भांजे की शादी में शामिल होने के लिए मामा को दी पैरोल

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला, कैदी के लिए भी परिवार-पम्पराएं जरूरी, भांजे की शादी में शामिल होने के लिए मामा को दी पैरोल

प्रेषित समय :16:09:22 PM / Tue, Nov 2nd, 2021

हिसार. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पैरोल के मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने हत्या के दोषी को पैरोल दिए जाने के केस पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों का हवाला देकर कैदी को पैरोल से वंचित नहीं रखा जा सकता है. कैदी को अगर अपने किसी परिचित की शादी के कार्यक्रम में शामिल होना है तो पैरोल दिया जाना आवश्यक हो जाता है. कोर्ट ने हत्या केस में सजा काट रहे कैदी को अपने भांजे की शादी में शामिल होने के लिए 14 दिन की पैरोल मंजूर करते समय यह फैसला सुनाया.

जस्टिस अनूप चितकारा की कोर्ट ने झज्जर के गांव सालावास निवासी नवीन कुमार की पैरोल की मांग पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता हत्या, आर्म्स एक्ट के तहत अपराधों में सजा काट रहा है. याचिकाकर्ता नवीन ने संबंधित जेल अधीक्षक को लिखित अनुरोध करके अपने भांजे की शादी में जाने के लिए पैरोल मांगी थी, लेकिन जेल अधीक्षक ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया. इसके बाद याची ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके पैरोल की मांग की. उसकी दलील थी कि याची अपने भांजे का एकमात्र मामा है और उसके लिए हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार धार्मिक भूमिकाएं निभाना महत्वपूर्ण है.

कोर्ट ने उसकी मांग स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को आवश्यक बांड भरने का आदेश देते हुए 14 दिनों के लिए पैरोल देने का आदेश दिया. हत्या के दोषी को पैरोल देते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी कैदी को महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि कैदी के करीबी रिश्तेदार ही आमतौर पर कैदी के परिवार के सदस्यों की देखभाल करते हैं. इसलिए कैदी के ऐसे करीबी रिश्तेदारों के किसी महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रम में उसे शामिल होना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि याचिकाकर्ता पैरोल नियमों के तहत पैरोल पाने का हकदार नहीं है, किंतु यदि तथ्य और परिस्थितियां इस तरह के पैरोल को सही ठहराती हैं तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पैरोल दी जा सकती है.

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