अहमदाबाद. भारत को समय के साथ चलने का ज्ञान देने वाले मोरबी शहर में अनेक प्रकार की घड़ियां बनती हैं हालांकि मोरबी के लाती प्लाट इलाके में स्थित एक उद्योगपति द्वारा आदिवासी घड़ियां बनाई जाती है. ये घड़ी सामान्य घड़ी से कुछ अलग ही चलती हैं और रिवर्स साइड में चलती हैं, घड़ियों को आदिवासी परिवार बेहद शुभ मानते हैं.
घड़ी उद्योग के एक केंद्र के रूप में मोरबी को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है. मोरबी में घर और बाहर की घड़ियों की खरीदारी करने के लिए आएं और विशेष रूप से मोरबी शहर के कोट इलाके के भीतर छोटे छोटे घड़ी के कारखानों में, नवीनतम घड़ियों को नए डिजाइनों में बनाया जाता है. जो देश-विदेश में लोगों के घर ऑफिस तक पहुँचती है.
विशेष रूप से आदिवासी घड़ियों को मोरबी के लैटिप्लॉट क्षेत्र के भीतर अल्फा कोट्स नामक कारखाने के अंदर बनाया जाता है, जो गुजरात सहित भारत के विभिन्न राज्यों में जहां जहां आदिवासी परिवार रहते है वहा ये घड़ियां बेचीं जाती है. आदिवासी क्षेत्र के भीतर इस घड़ी का बाजार बहुत बड़ा है और इस रिवर्स घड़ी को आदिवासी परिवारों द्वारा शुभ माना जाता है.
इस घड़ी की खासियत की बात करें तो यह घड़ी सामान्य घड़ी की तुलना में पूरे रिवरसाइड में मूवमेंट करती है और इसलिए इसे एंटी-क्लॉक के नाम से जाना जाता है जिससे अपने घर के अंदर इस रिवर्स में चलती घड़ी को रखते है.
अल्फा क्वार्ट्ज के मालिक निशांतभाई पटेल और अमिताभाई गांधी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ समय पहले आदिवासी क्षेत्र का एक व्यापारी उनके पास आया था और उन्होंने उनसे सामान्य घड़ी नहीं, बल्कि रिवरसाइड मूवमेंट करती यानी ऐंटी क्लॉक घड़ी बनाने के बारे में बात की लेकिन ये दोनों उद्योगकार यह भी सोच रहे थे कि एक व्यापारी ऐसी घड़ी क्यों मांग रहा है. तब व्यापारी ने उन्हें बताया की पृथ्वी एंटी क्लॉकवाइज घूमती है, ग्रह एंटीक्लॉक वाइज घूमते हैं. आदिवासी समाज में शादी के फेरे भी एंटी क्लॉक वाइज ही घूमते हैं. इसके अलावा समुद्र में और रेगिस्तान में उठने वाले तूफ़ान भी एंटी क्लॉक वाइज हे घूमते हैं जिससे उस दिशा में घूमने वाली चीज़ों को आदिवासी शुभ मानते है और इस आदिवासी घडी को शुभ कार्यक्रमों में उपहार के रूप में भी देते हैं.
मोरबी में कई व्यापारी देश और विदेश से घड़ियाँ खरीदने के लिए मोरबी के उद्योगपतियों के पास आते हैं, साथ ही आदिवासी क्षेत्र, विशेष रूप से बनाई गई आदिवासी घड़ी को पहुंचा ने के लिए व्यापारी मोरबी की मुलाक़ात लेते है और यहीं से, उनकी जरूरतों और उनके द्वारा चुने गए मॉडलों के अनुसार वे यहां के उद्योगपतियों के साथ डिजाइन और घड़ी बनाते हैं.
इस ब्रह्मांड में जो उलटी दिशा में घूमती हैं उसे आदिवासी बहुत शुभ मानते है. आदिवासी लोगों की मांग के अनुसार, मोरबी के कारखाने में आदिवासी घड़ी के लिए बाजार देश के हर आदिवासी इलाके में है और यह लाटी प्लॉट क्षेत्र में अल्फा क्वार्ट्ज में सबसे लोकप्रिय घड़ी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रेलवे ने दिसंबर से फरवरी 2022 तक महाराष्ट्र, यूपी और गुजरात के बीच रद्द की कई ट्रेनें
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