नई दिल्ली. केंद्र सरकार की किसान और मजदूर नीतियों के विरोध में जंतर-मंतर पर गुरुवार को राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. केंद्रीय श्रम संगठनों और स्वतंत्र अखिल भारतीय फेडरेशन और एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में इसका आयोजन हुआ. इसमें मजदूरों और उनके संगठनों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया.
श्रमिकों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए तमाम मजदूर संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार की कारपोरेट समर्थक नीतियों के चलते देश के लोगों का जीवन व जीविका गहरे संकट में है. बेलगाम महंगाई, बेरोजगारी ने मेहनतकश लोगों बल्कि महिलाओं, युवाओं, छात्रों के लिए भविष्य ही निराशा और हताशा की स्थिति पैदा कर दी है.
हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय सचिव व डबलूसीआरईयू के महामंत्री कामरेड मुकेश गालव ने बताया कि मजदूरों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मेहनतकश लोगों और राष्ट को बचाने के लिए एकजुट होकर देशव्यापी अभियान के आह्वान के साथ सम्मेलन संपन्न हुआ. वर्ष 2022 में संसद बजट सत्र के दौरान दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल की जाएगी.
केंद्रीय श्रम संगठनों और क्षेत्र-वार स्वतंत्र अखिल भारतीय फ़ेडरेशनों और एसोसिएशनों के संयुक्त मंच की पहल पर 11 नवंबर, 2021 को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में आयोजित श्रमिकों का राष्ट्रीय सम्मेलन मे भारत सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी, कारपोरेट-समर्थक और राष्ट-विरोधी विनाशकारी नीतियों के निराशाजनक प्रयासों के खिलाफ, जिसने तमाम लोगों के जीवन और आजीविका और देश की अर्थव्यवस्था को आपदा की कगार तक संकट में डाल दिया है, मेहनतकश लोगों से एकजुट संघर्षों को आगे बढ़ाने का आह्वान करता है. यह संघर्ष अब न केवल लोगों के अधिकारों और जीवन/आजीविका को बचाने के लिए है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और संपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था और पूरे समाज को उस आपदा और विनाश से बचाने के लिए है, जो निरंकुश सत्तासीन ताकतों द्वारा घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट जगत के सक्रिय समर्थन से रचा जा रहा है.
सम्मेलन में यह संकल्प लिया
1. चार लेबर कोड को समाप्त करना.
2. कृषि कानून और बिजली (संशोधन) विधेयक को निरस्त करना.
3. किसी भी रूप में निजीकरण के खिलाफ़ और एनएमपी को समाप्त करना.
4. आयकर भुगतान के दायरे से बाहर वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की आय और खाद्य सहायता.
5. मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार
6. सभी अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा.
7. आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य योजना कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा.
8. महामारी के दौरान लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं.
9. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए धन कर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि.
10. पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपचारात्मक उपाय.
यह भी निर्णय लिया गया
- अन्य मांगों के साथ-साथ सीटीयू और फेडरेशन/एसोसिएशन के संयुक्त मंच द्वारा पहले से तैयार कार्रवाई कार्यक्रम चलाना होगा. जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीति व्यवस्था के खिलाफ पिछले देशव्यापी आम हड़ताल और ऐतिहासिक किसान मार्च के एक साल पूरे होने पर 26 नवंबर 2021 को पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन. जहां भी संभव हो, संयुक्त प्रदर्शन करने के लिए किसान संगठनों के साथ समन्वय करने का प्रयास किया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-किसान आंदोलन का एक साल पूरा होने पर 29 नवंबर को संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे
NCRB के आंकड़ों से खुलासा: 2020 में किसानों से ज्यादा कारोबारियों ने की आत्महत्या
सत्यपाल मलिक ने फिर साधा केंद्र पर निशाना, कहा- 600 किसानों की मौत, लेकिन सरकार ने नहीं जताई संवेदना
राजस्थान: थार में किसान उगा रहा अनार-खजूर और एप्पल बेरी
पंजाब: धान कटाई के बीच बंद होंगी 300 मंडियां, राज्य सरकार के विरोध में उतरे किसान
Leave a Reply