नजरिया. किसान आंदोलन खत्म करने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं और अब किसानों के तेवर बता रहे हैं कि कामयाबी उनके कदमों में होगी?
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- ट्रैक्टर भी वही हैं और किसान भी वही. इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे.
उनका साफ कहना है कि- जब तक तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनता तब तक आन्दोलन देश भर में जारी रहेगा. बिल वापसी ही घर वापसी है. यह आंदोलन जल, जंगल और जमीन को बचाने का आंदोलन है.
उन्होंने निशाना साधा- प्रधानमंत्री जी कहते है कि एमएसपी था, एमएसपी है, एमएसपी रहेगा, लेकिन प्रधानमंत्री जी यह नही बताते एमएसपी कहां मिलता है?
उधर, एक दिलचस्प खबर है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बॉर्डर पर डटे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व सैकड़ों किसान शुक्रवार शाम को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और एनएच-9 पर लगी बैरिकेडिंग तक पहुंच गए?
यही नहीं, इस दौरान किसानों ने दिल्ली कूच करने का संदेश देकर हड़कंप मचा दिया?
अलबत्ता, बाद में किसानों ने इसे महज दिल्ली जाने का रिहर्सल करार दिया!
हालांकि, किसानों के बैरिकेडिंग तक पहुंचने से बॉर्डर के दोनों तरफ तैनात पुलिसबल सतर्क हो गया और जब किसान वापस लौट गए तब पुलिस व सुरक्षाबल कर्मियों ने भी राहत की सांस ली.
सियासी सयानों का मानना है कि किसान आंदोलन के करीब एक साल के बाद भी यदि किसान जोश में हैं, तो मोदी सरकार सोचे या नहीं सोचे, योगी सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि किसानों की नाराजगी का सियासी नुकसान योगी सरकार को पहले होगा, मोदी सरकार का नंबर तो 2024 में आएगा?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मुख्यमंत्री चन्नी का आदेश: पंजाब में पंजाबी नहीं पढ़ाई तो स्कूल पर लगेगा 2 लाख जुर्माना
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