नाएप्यीडॉ. सैन्य शासित म्यांमार की एक कोर्ट ने अमेरिकी पत्रकार डेनियल डैनी फेनस्टर को 11 साल की सजा सुनाई है. 37 साल की उम्र के पत्रकार फेनस्टर को जिन आरोपों में 11 साल की सजा सुनाई गई है उनमें, देश में अवैध संगठनों से संपर्क रखने, वीजा नियमों का उल्लंघन करने जैसे आरोप भी शामिल हैं. आनलाइन पत्रिका फ्रंटियर म्यांमार के प्रबंध संपादक डेनियल फेनस्टर को, सैन्य शासित म्यांमार में अवैध संगठनों से संपर्क करने और वीजा नियमों का उल्लंघन करने का भी दोषी पाया गया.
शुक्रवार को यह जानकारी पत्रकार के वकील थान जा आंग ने मीडिया को कोर्ट के बाहर दी. वकील ने आगे कहा कि उनके मुवक्किल और इस युवा अमेरिकी पत्रकार को हर एक आरोप के बदले में, म्यांमार की सैन्य अदालत ने दोषी पत्रकार को अधिकतम अवधि की सजा सुनाई है. यहां उल्लेखनीय है कि म्यांमार में हुए तख्तापलट के बाद 24 मई 2021 को इस अमेरिकी पत्रकार को हिरासत में ले लिया गया था. तभी से वो सैन्य शासन की हिरासत में थे. पत्रकार फेनस्टर पर हाल ही में आतंकवाद को बढ़ावा देने और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप भी लगे थे.
पत्रकार के वकील ने इस बारे में सैन्य अदालत का फैसला आने के बाद समाचार एजेंसी एएफपी से विस्तृत बातचीत में और भी तमाम तथ्यों का उल्लेख किया. सैन्य अदालत का फैसला आने के बाद ऑनलाइन पत्रिका फ्रंटियर म्यांमार के एडिटर-इन-चीफ थॉमस कीन ने भी एक अधिकृत बयान के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि, “इस फैसले से फ्रंटियर में हर कोई हताश और निराश है. हम डैनी को जल्दी से जल्दी रिहा हुआ देखना चाहते हैं. ताकि वो अपने परिवार से मिल सके.” यहां उल्लेखनीय है कि डैनी फेनस्टर को इसी साल 24 मई को म्यांमार के यांगून इंटरनेशनल एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया था. उस समय वे अपने परिवार के पास संयुक्त राज्य के डेट्राइट इलाके के सफर पर थे.
देश में सेना द्वारा फरवरी महीने में सत्ता हथियाने के बाद से ही अमेरिकी पत्रकार स्थानीय सैन्य शासकों के निशाने पर था. उल्लेखनीय है कि म्यांमार में चुनी हुई सरकार का तख्तापलट यानी 1 फरवरी 2021 को हुए बर्मेली सैन्य विद्रोह के बाद आए, सैन्य शासन में इतनी कड़ी सजा पाने वाले अमेरिकी पत्रकार डैनी पहले इकलौते विदेशी पत्रकार हैं. हालांकि देश में तख्ता पलटने के दौरान से अब तक गिरफ्तारी 100 से ज्यादा पत्रकारों की हो चुकी है. इनमें से 30 पत्रकार अभी तक देश की कई जेलों में बंद करके रखे गए हैं. तख्ता पलट के दौरान और उसके बाद देश में खून-खराबा शुरू हो गया था. जिसमें हजारों बेकसूर लोग बेमौत ही मार डाले गए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट से खुलासा: भारत से सटे विवादित इलाकों में गांव बसा रहा है चीन
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