*कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग कर, पुनः अपना कार्यभार संभालते हैं. इस दिन से चतुर्मास की समाप्ति होती है और विवाह, मुण्डन आदि सभी मांगलिक कार्य होना शुरू हो जाते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार इसके अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि योग निद्रा से जाग कर भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी जी की ही आवाज सुनते हैं. इसलिए कार्तिक माह में तुलसी पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. इस माह में तुलसी विवाह का आयोजन करने से कन्यादान के समतुल्य फल मिलता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.जिन लोगों के कन्याएं उत्पन्न न हुई हों यदि वो लोग इस पूजन को करते हैं तो उनको इस जीवन में ही कन्यादान का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है और तुलसी माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है.वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति भी होती है.*
*इसके अतिरिक्त जिन लोगों का विवाह न हो पा रहा हो या देरी हो रही हो उनके विवाह की रुकावटें दूर होती हैं और तुलसी विवाह में भगवान शालिग्राम का पूजन करने से विवाह , कन्यादान और मोक्ष प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कार्तिक मास में तुलसी की आराधना का विशेष महत्व
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