इक्वाडोर की जेल में बवाल: घंटों हुई गोलीबारी में 68 कैदियों की मौत

इक्वाडोर की जेल में बवाल: घंटों हुई गोलीबारी में 68 कैदियों की मौत

प्रेषित समय :10:20:23 AM / Sun, Nov 14th, 2021

क्विटो. इक्वाडोर की सबसे बड़ी जेल लिटोरल पेनीटेंटियरी में शनिवार रात हुई झड़पों में कम से कम 68 कैदियों की मौत हो गई. इस घटना में 25 कैदी घायल भी हुए. इसी जेल में हाल में भी हिंसा हुई थी, जिसे प्राधिकारियों ने किसी जेल में हुआ सबसे भयानक रक्तपात करार दिया था. एक पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि तटीय शहर गुआयाक्विल की जेल में अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल से जुड़े जेल गैंग्स के बीच ये भीषण हिंसा हुई है. कैदियों के पास से बंदूकें भी जब्त की गई हैं. घटना के सामने आए वीडियो में अधजली लाशों को देखा जा सकता है.

शुरुआती लड़ाई आठ घंटों तक चली, इस दौरान कैदियों ने प्रतिद्वंद्वी कैदियों की हत्या के लिए जेल के दूसरे हिस्से में जाने के लिए एक दीवार को डायनामाइट से उड़ाने की कोशिश की. गुआस प्रांत के गवर्नर पाब्लो अरोसेमेना ने कहा कि कैदियों ने दुश्मन कैदियों की हत्या के लिए उनके गद्दे जला दिए, ताकि वे धुएं की चपेट में आकर मर जाएं. उन्होंने कहा, हम लोग ड्रग ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ रहे हैं. ये बेहद कठिन है. राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि हमें जेल में कैदियों की हिंसा की जानकारी है. ये लोग जेल पर नियंत्रण बनाने के लिए हमला कर रहे थे. 700 पुलिस अधिकारी जेल के भीतर हालत को नियंत्रित करने में जुटे हुए हैं.

जेल में हिंसा की ये घटना ऐसे वक्त में हुई है, जब दो महीने पहले ही गैंग्स के बीच हुई लड़ाई में 119 कैदियों की मौत हो गई थी. लिटोरल पेनीटेंटियरी में 8000 कैदियों को रखा गया है. पुलिस कमांडर जनरल तान्या वरेला ने दिन की शुरुआत में कहा कि हिंसा के दौरान जेल के ऊपर उड़ाए गए ड्रोन से पता चला कि जेल के तीन हिस्सों में कैदी बंदूकों और विस्फोटकों से लैस थे. अधिकारियों ने कहा है कि हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी उन वाहनों के जरिए कैदियों में की जाती है जो सप्लाई करते हैं और कभी-कभी ड्रोन द्वारा भी हथियार कैदियों तक पहुंचाए जाते हैं.

अक्टूबर में राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया. इसके बाद ये हिंसा सामने आई है. आपातकाल के दौरान सुरक्षाबलों को मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अपराधों से लड़ने के लिए पूरी शक्ति दी गई. शनिवार को राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, पहला अधिकार जिसकी हमें गारंटी देनी चाहिए वह जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए. लेकिन सुरक्षा बल सुरक्षा के लिए काम नहीं कर सकते हैं तो ये संभव नहीं है. वह संवैधानिक न्यायालय द्वारा हाल ही में आपातकाल की स्थिति के बावजूद सेना को जेलों में भेजने से इनकार करने का जिक्र कर रहे थे. सैनिक फिलहाल जेल के बाहर हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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