कड़कड़ाती सर्दी में अपनी मांगों के लिए टीएल/एसी स्टाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठा, रेल प्रशासन मौन, डबलूसीआरईयू गरम

कड़कड़ाती सर्दी में अपनी मांगों के लिए टीएल/एसी स्टाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठा, रेल प्रशासन मौन, डबलूसीआरईयू गरम

प्रेषित समय :17:34:15 PM / Tue, Nov 16th, 2021

जबलपुर. इस कड़कड़ाती सर्दी में जब लोग घरों के अंदर कम्बल, रजाई में दुबके हुए हैं, ऐसे मौसम में रेल कर्मचारियों को अपनी मांगों के समर्थन में खुले में भूख हड़ताल करना पड़ रही है. रेलवे कोचिंग काम्पलेक्स परिसर में ट्रेन एसी/लाइटिंग विभाग के स्टाफ पिछले दो दिनों से अपनी मांगों के समर्थन मेें भूख हड़़ताल पर बैठे हैं. आश्चर्य की बात है कि रेल प्रशासन इन कर्मचारियों की जायज मांगों को लेकर मौन है, रेल प्रशासन की इस उपेक्षापूर्ण व्यवहार पर वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) गरम हो गई है. उसने चेतावनी दी है कि स्टाफ की मांगों को यथाशीघ्र पूरा किया जाए, नहीं तो उग्र आंदोलन होगा.

आज दिनांक 16 नवम्बर को कल पिछले चौबीस घंटे (15/11/21) से 24 घंटे के बाद भूख हड़ताल पर बैठे साथियों को शशिपाल मीणा, करण कुमार, सोमनाथ को मंडल सचिव नवीन लिटोरिया ने जूस पिला कर उठाया और नए साथी कॉम विनोद जाटव, कॉम रमेश प्रजापति, कॉम अनीश यादव को बैठाया गया. तेज़ ठंड भी डबलूसीआरईयू के कॉमरेडों के हौसले को नहीं तोड़ पाई, भूख हड़ताल स्थल पर कॉम प्रह्लाद सिंह, कॉम जरनैल सिंह, कॉम रोमेश मिश्रा, कॉम सतीश, कॉम शशिपाल, कॉम जीतेन्द्र सहित बड़ी संख्या में कोचिंग डिपो कर्मचारी उपस्थित रहे.

यह है कर्मचारियों की मांगेें

यूनियन मंडल सचिव नवीन लिटोरिया व मंडल अध्यक्ष बीएन शुक्ला ने बताया कि रेलवे बोर्ड का स्पष्ट आदेश है कि जिस ट्रेन में 5 या उससे अधिक एसी कोच हैं, उसमें कम से कम 2 एसी कोच अटेेंडेंट लगाया जाए, लेकिन जबलपुर मंडल रेल प्रशासन बोर्ड के आदेश की नाफरमानी करते हुए 8 से 10 एसी कोच की ट्रेनोंं में भी 1 अटेंडेंट की ड्यूटी लगा रहा है. यह सब वह इसलिए कर रहा, ताकि उसे स्टाफ को ओवर टाइम का भुगतान नहीं करना पड़े. लेकिन रेल प्रशासन के इस निर्णय से कर्मचारियों पर कार्य का अत्यधिक बोझ बढ़ गया है और पिछले कुछ समय में 3 एसी कोच अटेंडेंट ड्यूटी के दौरान रन ओवर हो चुके हैं. यूनियन पदाधिकारियों ने रेल प्रशासन को चेतावनी दी कि एसी/टीएल स्टाफ रेल प्रशासन के निर्णय से त्रस्त हो चुके हैं. यूनियन इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. अब तो आरपार का संघर्ष होगा. यदि रेल प्रशासन शीघ्रताशीघ्र कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय नहीं लेता है तो इसके गंभीर परिणाम रेल प्रशासन को भुगतना होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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