नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से बातचीत की है. दोनों के बीच हो रही इस बातचीत का पूरी दुनिया को इंतजार था. इस बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन ‘अमेरिका और चीन के बीच के संबंधों’ को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. वहीं, बाइडेन ने मानवाधिकारों और इंडो पैसिफिक क्षेत्र पर बातचीत को आगे बढ़ाया.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बैठक की शुरुआत यह कहते हुए की कि उनका लक्ष्य प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है न कि संघर्ष में उलझना. अमेरिका-चीन संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच दोनों नेता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुलाकात की. बैठक के दौरान बाइडेन ने उत्तर पश्चिमी चीन में उइगरों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन, हांगकांग में लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन, ताइवान के स्व-शासित द्वीप के खिलाफ सैन्य आक्रमण समेत कई मुद्दों पर चीन की आलोचना की.
बाइडेन ने शुरुआत में कहा, चीन और अमेरिका के नेताओं के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हमारे देशों के बीच प्रतिस्पर्धा सरल और सीधी हो, लेकिन इसमें इरादातन या अनपेक्षित संघर्ष न हो. इस दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक स्थिर संबंध की आवश्यकता है और इसके लिए महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश एक-दूसरे का सम्मान करें. उन्होंने कहा कि वह अपने ‘पुराने दोस्त’ बिडेन को देखकर खुश हैं. दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी मुलाकात है. दोनों नेता एक साथ यात्रा कर चुके हैं, जब दोनों वाइस प्रेसिडेंट थे और एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे.
बाइडेन ने शी से व्यक्तिगत रूप से मिलने की कोशिश की होगी, लेकिन चीनी नेता ने कोरोनोवायरस महामारी की शुरुआत से पहले से ही अपना देश नहीं छोड़ा है. यही कारण है कि व्हाइट हाउस ने वर्चुअल मीटिंग का आइडिया सामने रखा ताकि दोनों देशों के प्रमुख वर्तमान की तल्खी और तनाव पर खुलकर बात कर सकें.
शी जिनपिंग ने कहा, मैं आम सहमति बनाने, सक्रिय कदम उठाने और चीन व अमेरिका के बीच संबंधों को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए आपके साथ काम करने के लिए तैयार हूं. चीनी अधिकारियों ने पहले ही बता दिया था कि ताइवान का मुद्दा उनके लिए सबसे ऊपर होगा. दरअसल, ताइवान के द्वीप पर कथित तौर से कब्जा करने के बाद चीनी सेना द्वारा वहां लड़ाकू जेट विमानों की संख्या को बढ़ाए जाने से तनाव बढ़ गया है. इस पूरे को बीजिंग अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है.
बैठक में शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान और अन्य फ्लैशपॉइंट मुद्दों पर बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों को कम्यूनिकेशन में सुधार करने और एक साथ चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि ताइवान मुद्दा चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ चीन के मूल हित से संबंधित है. यह चीन-अमेरिका संबंधों के लिहाज से भी सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है. व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडेन लंबे समय से चली आ रही अमेरिकी ‘वन चाइना’ नीति का पालन करेंगे, जो बीजिंग को मान्यता देता है लेकिन ताइपे के साथ अनौपचारिक संबंधों और रक्षा संबंधों की अनुमति देता है. चीनी सेना ने ताइवान के पास द्वीप पर अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के जवाब में अभ्यास किया था.
इस बैठक से पहले बाइडेन ने सोमवार को 1 ट्रिलियन डॉलर के इन्फ्रास्ट्रक्चर बिल पर हस्ताक्षर किए, जो देश के ढहते बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वो चीन पर प्रतिस्पर्धा में बढ़त बनाए रखना चाहते हैं. बाइडेन ने कहा, ‘इस कानून के कारण, अगले साल 20 सालों में ये पहला ऐसा साल होगा, जब अमेरिकी बुनियादी ढांचा निवेश चीन की तुलना में तेजी से बढ़ेगा. अगले दशक में हमारे पास एक बार फिर सबसे अच्छी सड़कें, पुल, बंदरगाह और एयरपोर्ट होंगे.’
शिखर सम्मेलन से पहले, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन अमेरिका से संबंधों को स्थिर विकास के सही रास्ते पर लाने के लिए कहेगा. झाओ ने कहा कि शी-बाइडन चीन-अमेरिका संबंधों के भविष्य और आम चिंता के प्रमुख मुद्दों के संबंध में रणनीतिक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. वहीं, व्हाइट हाउस ने कहा था कि दोनों नेता अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे और आपसी हितों पर मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-चीन की गलत हरकत से नाराज हुआ श्रीलंका, गुस्से में हजारों टन हानिकारक उर्वरक को लेने से किया इनकार
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