प्रदीप द्विवेदी. किसान आंदोलन को खत्म करने की तमाम कोशिशें नाकामयाब होने के बाद अंततः मोदी सरकार ने सियासी हथियार डाल दिए?
पलपल इंडिया ने इसी सप्ताह कहा था कि-किसानों के तेवर बता रहे हैं कि कामयाबी उनके कदमों में होगी!
देश के प्रमुख पत्रकार अभिमनोज की इस रिपोर्ट में कहा गया था कि.... किसान आंदोलन खत्म करने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं और अब किसानों के तेवर बता रहे हैं कि कामयाबी उनके कदमों में होगी?
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि- किसान आंदोलन के करीब एक साल के बाद भी यदि किसान जोश में हैं, तो मोदी सरकार सोचे या नहीं सोचे, योगी सरकार को जरूर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि किसानों की नाराजगी का सियासी नुकसान योगी सरकार को पहले होगा, मोदी सरकार का नंबर तो 2024 में आएगा?
पीएम मोदी के इस ऐलान का सबसे बड़ा झटका उनके अंधे समर्थकों और गोदी मीडिया को लगा है जो यह मानकर चल रहे थे कि पीएम मोदी अपने फैसले कभी नहीं बदलते हैं?
साहेब तो झोला लेकर निकल लेंगे! बीस साल बेमिसाल का क्या होगा?
याद रहे, पलपल इंडिया की इस रिपोर्ट में ऐसा होने की आशंका पहले ही व्यक्त कर दी गई थी!
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि.... चित्रा त्रिपाठी की हिम्मत को दाद देनी चाहिए कि वह किसान आंदोलन में कवरेज करने के लिए गई, अलबत्ता इसकी एक प्रतिशत हिम्मत भी यदि नरेंद्र मोदी में होती तो कम-से-कम सात साल में एक प्रेस कांफ्रेंस तो कर ही लेते?
साहेब का दावा 56 इंच का सीना दिखाने का था, लेकिन हर मुद्दे पर 56 इंच की पीठ दिखाते रहे हैं!
बड़ा सवाल यह है कि साहेब तो झोला लेकर निकल लेंगे! बीस साल बेमिसाल का क्या होगा?
सियासी सयानो का मानना है कि अब इस फैसले में इतनी देर हो चुकी है कि बीजेपी को जो नुकसान होना था वह तो हो चुका है, इतना एक्सपोज होने के बाद किसान अब मोदी सरकार के झांसे में आ जाएंगे, ऐसा लगता नहीं है?
अगले चुनावों में बीजेपी को इसकी सियासी कीमत चुकानी ही होगी!
पहली नजर में मीडिया सहित विपक्ष का भी यही मानना है कि यह फैसला पीएम मोदी ने अगले वर्ष होने वाले पांच विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मजबूरी में लिया है?
इसे देश के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट इरफान ने बखूबी प्रदर्शित किया है!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कृषि कानून वापसी और करतारपुर से भाजपा के लिए बनेगा पंजाब में सत्ता का कॉरिडोर
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