अभिमनोज: किसान आंदोलन को भुला देना इतना आसान नहीं है?

अभिमनोज: किसान आंदोलन को भुला देना इतना आसान नहीं है?

प्रेषित समय :20:22:50 PM / Mon, Nov 22nd, 2021

नजरिया. यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम मोदी ने तीन कृषि कानून रद्द करने का ऐलान भले ही कर दिया हो, लेकिन इस एक साल के दौरान किसानों ने जो दर्द देखा है, सैकड़ों किसानों की मौत हुई है, उसे भुलाना आसान नहीं है!

यह कानून चुनाव से पहले इसीलिए रद्द कर दिए गए हैं ताकि यूपी सहित इन विधानसभा चुनावों में बीजेपी कामयाबी हासिल कर सके और इसके लिए किसानों को आंदोलन से दूर करना जरूरी था, पर बड़ा सवाल यह है कि क्या किसान चुनाव तक सब कुछ भूल जाएंगे?

नहीं! और यही वजह है कि कृषि कानून समाप्त हो गए किंतु किसानों ने अपने आंदोलन को समाप्त करने का ऐलान नहीं किया है.

खबर है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि- एमएसपी कानून बनेगा तभी आंदोलन खत्म होगा? 
उनका कहना है कि शेष सभी मुद्दों पर हम कमेटी बनाएंगे! 

उन्होंने कानून वापस लेने के अंदाज पर भी निशाना साधा- कानून वापस लिया लेकिन कटाक्ष के साथ?

वह बोले- यहां झंडे अलग-अलग हैं, लेकिन सबके मुद्दे एक हैं, हमारी बोली अलग थी, लेकिन मांग एक ही थी, लेकिन दिल्ली की चमकीली कोठियों में बैठने वालों की भाषा अलग थी?

क़ानून वापस लिया, लेकिन कटाक्ष के साथ, जैसे कोई झगड़ा करने के बाद गाली देता हुआ भागता है, जैसे यह बोला कि हम कुछ लोगों को समझाने में नाकाम रहे. किसानों-मज़दूरों का भला सकारात्मक नीतियां बनने से होगा!

लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर भी राकेश टिकैत आक्रामक नजर आए, कहा कि- कातिल को हीरो बनाओगे, हम उसे आगरा की जेल में हीरो बनाएंगे! यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि- देश का प्रधानमंत्री जब मीठी बात करता है तो हमें डर लगता है, हम कमजोर प्रधानमंत्री नहीं चाहते हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे मसले सुलझाओ, एमएसपी पर कानून बन जाएगा तो धरना समाप्त हो जाएगा, उसके बाद अन्य मुद्दों पर कमेटी बनाएंगे? 

मतलब साफ है कि कृषि कानून समाप्त करने से बीजेपी को कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं होने जा रहा है, क्योंकि यदि किसानों का मुद्दा जिंदा रहता है तो बीजेपी नेताओं को चुनाव प्रचार में और जनता के सवालों का जवाब देने में परेशानी तो होगी ही?

सियासी सयानो का मानना है कि जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तब मोदी की जो सियासी इमेज थी और आज जो सियासी इमेज है, उसमें जमीन-आसमान का अंतर आ गया है, यह अंतर कितना आया है और जनता क्या महसूस करती है?

इसी पर निर्भर है यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे!
https://twitter.com/bstvlive/status/1462647748012822532?t=EgZzhPojn8kUOQwzm2pmvw&s=08

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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