चीन के कर्ज जाल में फंसा एक और देश, ड्रैगन के हाथों में सौंपने को मजबूर हुआ देश का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट

चीन के कर्ज जाल में फंसा एक और देश, ड्रैगन के हाथों में सौंपने को मजबूर हुआ देश का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट

प्रेषित समय :13:36:56 PM / Sun, Nov 28th, 2021

कंपाला. चीन अफ्रीका के देशों समेत दुनियाभर के गरीब मुल्कों को अपने कर्ज जाल में फंसाने में जुटा हुआ है. इस बात की जानकारी सभी को है. वहीं, एक बार फिर एक अफ्रीकी देश चीन के कर्ज जाल में फंस गया है. दरअसल, युगांडा चीन द्वारा दिए गए कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहा है और इस वजह से इसे अपने एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट को ड्रैगन के हाथों में सौंपना पड़ा है. अफ्रीकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एंटेबे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर चीन का कब्जा हो गया है.

यूगांडा की सरकार चीन के साथ हुए कर्ज समझौते को पूरा करने में विफल रही है. इस समझौते में भुगतान की जगह अपना एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट सौंपने की शर्त भी थी. 2015 में, चीन के निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक ने युगांडा को अदायगी पर दो फीसदी पर 207 मिलियन डॉलर का कर्ज दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, एंबेटे इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए ये कर्ज दिया गया. ये कर्ज 20 साल की परिपक्वता अवधि के साथ दिया गया था और इसमें सात साल की छूट अवधि भी शामिल थी. युंगाडा सरकार ने कर्ज हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को समझौते से हटा दिया.

वहीं, यूगांडा के इस फैसले की वजह से अब चीनी कर्जदाता बिना किसी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के एंटेबे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कब्जा कर सकते थे. युगांडा नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के एक बयान में कथित तौर पर सुझाव दिया गया है कि समझौते के कुछ प्रावधानों में एंटेबे इंटरनेशनल एयरपोर्ट और अन्य युगांडा संपत्तियों को अटैच किया गया था. इस तरह चीनी उधारकर्ता इन संपत्तियों पर कब्जा कर सकते थे. पिछले हफ्ते, युगांडा के वित्त मंत्री मटिया कसैजा ने कई मिलियन डॉलर के कर्ज को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करने के लिए संसद से माफी मांगी थी.

लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी इस साल की शुरुआत में कर्ज समझौते की शर्तों पर फिर से बातचीत करने के प्रयास के लिए चीन का दौरा किया. हालांकि, ये यात्रा असफल रही क्योंकि चीनी अधिकारियों ने सौदे की मूल शर्तों में किसी भी तरह के बदलाव की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. इससे पहले, श्रीलंका और मालदीव जैसे देश भी चीन के कर्ज जाल में फंस चुके हैं. श्रीलंका को अपना एक बंदरगाह भी चीन को सौंपना पड़ा था. इसके बाद श्रीलंकाई नेताओं ने कहा था कि ये फैसला अब तक लिया गया सबसे खराब फैसला था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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