नई दिल्ली. के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर भारतीय रेल भी सतर्क हो गया है. रेलवे ने इसके प्रसार को रोकने के लिए पहले ही ऐहतियाती तौर पर कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसके लिए सभी जोनों को कड़े दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. इनमें पीएसए प्लांटस की प्रोपर मॉनिटरिंग से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडरों के पर्याप्त स्टॉक रखने, पीपीई किट और टेस्टिंग मैटिरियल्स की उपलब्धता सुनिश्चित रखने, ज्यादा से ज्यादा आईसीएयू बेड्स तैयार रखने, हर रेलवे कर्मी के वैक्सीनेशन सरीखे कदम उठाने को लेकर सभी जोन के महाप्रबंधकों से कहा गया है.
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक, स्वास्थ्य (जी) डॉ. के श्रीधर ने सभी जोन, प्रोडक्शन यूनिटों के नाम एक आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका से स््रक्रस् ष्टशङ्क-2 वैरिएंट ओमिक्रोन के एक नए म्यूटेशन की सूचना मिली है, जिसने इस वेरिएंट को चिंता के नए वेरिएंट के रूप में नामित किया है. लिहाजा रेलवे को पहले से ही इसकी तैयारियां करनी होंगी. उन्होंने महाप्रबंधकों और यूनिट प्रमुखों से कहा है कि पेंडिंग पीएसए प्लांट्स का काम जल्द पूरा किया जाए. साथ ही पीएसए प्लांट्स और वेंटिलेटर्स के प्रोपर मेंटेनेंस और फंक्शनिंग को मॉनिटर किया जाए. भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों का पर्या$प्त स्टॉक भी रखा जाए.
आदेश में आगे कहा गया है कि कम से कम एक महीने तक चलने वाली कोविड-19 दवाओं और आवश्यक पीपीई, परीक्षण सामग्री का बफर स्टॉक रखा जाए तथा बाल चिकित्सा के विशेष संदर्भ के साथ-साथ आईसीयू और गैर आईसीयू दोनों में कोविड-19 बिस्तरों की उपलब्धता एवं अन्?य आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए. अगर जरूरी हो तो अधिक से अधिक संख्या में कोविड-19 स्क्रीनिंग ओपीडी चलाई जानी चाहिए.
डॉ. श्रीधर ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी रेलवे लाभार्थियों का टीकाकरण फास्ट ट्रैक में किया जाए, जिसमें कल्याणकारी कर्मचारी, संघ के पदाधिकारी आदि शामिल हों, ताकि लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जा सके.
सभी जीएम से कहा गया है कि कोविड-19, प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कठिन स्थानों पर आईईसी सामग्री रखी जाएं. साथ ही ओमिक्रॉन प्रकार के कोविड-19 रोगियों के प्रबंधन के लिए समय-समय पर जारी किसी भी परामर्शी निर्देश के लिए राज्य और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखा जाए और उनके साथ मिलकर काम किया जाए.
उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सा बुनियादी ढांचे की बारीकी से समीक्षा की जानी चाहिए और किसी भी कमी को भरने के लिए समय-समय पर जांच और मूल्यांकन किया जाना चाहिए. चिकित्सा उपकरणों सहित कोविड-19 रोगियों के उपचार के लिए वर्तमान प्रबंधन/प्रोटोकॉल के संबंध में स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सरकार ने संसद में बताया- भारत में ओमिक्रोन को एक भी केस नहीं
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