नई दिल्ली. नेशनल स्टैटिक्स ऑफिस यानी NSO की तरफ से अक्टूबर महीने के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स डेटा जारी किया गया है. अक्टूबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में सालाना आधार पर 3.2 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. शुक्रवार को इसका आधिकारिक डेटा जारी हुआ.
डेटा के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट अक्टूबर 2021 में 2 फीसदी बढ़ा है. अक्टूबर में, माइनिंग आउटपुट में 11.4 फीसदी का उछाल आया है. वहीं, पावर जनरेशन में 3.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. अक्टूबर 2020 में आईआईपी में 4.5 फीसदी की तेजी देखी गई थी.
इस साल अप्रैल से अक्टूबर की अवधि के दौरान, आईआईपी में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. पिछले समान अवधि में, इसमें 17.3 फीसदी की गिरावट देखी गई थी. कोरोना वायरस महामारी की वजह से पिछले साल मार्च से कोरोना वायरस महामारी को झटका लगा है, जब इसमें 18.7 फीसदी की बड़ी गिरावट आई थी.
अप्रैल 2020 में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की वजह से इसमें 57.3 फीसदी की गिरावट आई थी. इसके पीछे वजह कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद लगाया गया लॉकडाउन रहा था.
अक्टूबर में प्राइमरी गुड्स की आउटपुट ग्रोथ 9 फीसदी पर रही है. वहीं, समीक्षाधीन महीने के दौरान कैपिटल गुड्स की आउटपुट ग्रोथ -1.1 फीसदी पर रही है. दूसरी तरफ, इंटरमीडिएट गुड्स की आउटपुट में अक्टूबर के दौरान 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. इंफ्रा गुड्स की आउटपुट ग्रोथ समीक्षाधीन महीने के दौरान 5.3 फीसदी पर है. कंज्यूमर ड्यूरेबल सामान की आउटपुट की ग्रोथ अक्टूबर में -6.1 फीसदी पर रही है. कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल सामान की आउटपुट ग्रोथ समीक्षाधीन महीने में 0.5 फीसदी पर रही है.
आपको बता दें कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में खास महत्व होता है. इससे पता चलता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक वृद्धि किस गति से हो रही है. आईआईपी के अनुमान के लिए 15 एजेंसियों से आंकड़े जुटाए जाते हैं. इनमें डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस, सेंट्रल स्टेटिस्टिकल ऑर्गनाइजेशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी शामिल हैं.
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा मानकों के मुताबिक किसी उत्पाद के इसमें शामिल किए जाने के लिए प्रमुख शर्त यह है कि वस्तु के उत्पादन के स्तर पर उसके उत्पादन का कुल मूल्य कम से कम 80 करोड़ रुपए होना चाहिए.
इसके अलावा यह भी शर्त है कि वस्तु के उत्पादन के मासिक आंकड़े लगातार उपलब्ध होने चाहिए.इंडेक्स में शामिल वस्तुओं को तीन समूहों-माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी में बांटा जाता है. फिर इन्हें बेसिक गुड्स, कैपिटल गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स जैसी उप-श्रेणियों में बांटा जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-क्या भारत की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है ओमिक्रॉन?, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही बड़ी बात
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