देहरादून. उत्तराखंड के एक सरकारी स्कूल में जाति आधारित भेदभाव का मामला सामने आया है मामला चंपावत के सूखीढांग इंटर कॉलेज का है. जहां सामान्य वर्ग के छात्रों (upper caste) ने अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथों बना खाना खाने से मना कर दिया. जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा तो अब मामले में जांच बैठा दी गई है.
दरअसल चंपावत जिले के सूखीढांग के इस इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले 60 छात्र-छात्रों में से 40 सामान्य वर्ग के है और 20 अनुसूचित जाति से हैं. कुछ दिन पहले स्कूल की भोजन माता शकुन्तला देवी सेवानिवृत्त हो गयी थीं. जिसके बाद विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा नई भोजन माता के तौर पर अनुसूचित जाति की सुनीता देवी को नियुक्त किया. इस बीच शनिवार को विद्यालय के सामान्य वर्ग के छात्रों ने भोजन माता सुनीता देवी के हाथों बना मिड डे मील खाने से इनकार कर दिया.
वहीं शनिवार को सामान्य वर्ग के बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल पहुंचकर सुनीता देवी की नियुक्ति को लेकर बवाल भी काटा. अभिभावकों का तर्क था कि विद्यालय में सामान्य वर्ग के छात्र बहुमत में हैं इसलिए भोजन माता की नियुक्ति भी इसी वर्ग से की जानी चाहिए. अभिभावक चाहते हैं कि भोजन माता के रूप में सामान्य वर्ग की महीला की नियुक्ति की जाये. उनका आरोप है कि प्रधानाचार्य प्रेम राम द्वारा मनमाने तरीके से सुनीता देवी को भोजन माता के रूप में नियुक्त कर दिया है.
जिसके बाद अब मामले की जांच शुरू कर दी गई है. सोमवार को जांच अधिकारी उपखंड शिक्षा अधिकारी अंशुल बिष्ट ने कालेज के प्रधानाचार्य से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की. 22 दिसंबर को विवाद में शामिल दोनों पक्षों को बयान दर्ज करने के लिए चंपावत बुलाया गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में खांसी की दवा पीने से 3 बच्चों की मौत, 16 बीमार
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