नई दिल्ली. सूचनाओं को एकत्रित करने के लिए चीन विश्व को चारों ओर से घेर रहा है. इसके लिए चीन नेशनल इंटेलिजेंस उपकरणों के माध्यम से सही और गलत दोनों तरह के रास्तों को प्रयोग कर रहा है. आलम यह है कि इसके लिए चीन के कई जासूस व्यक्तिगत स्तर के साथ ही व्यापार के साथ भी सक्रिय हैं. इन सब के पीछे महत्वपूर्ण यह है इसके लिए चीन सरकार ने ही मंजूरी दी है और चीनी जासूस अवसर पाते ही दुनियाभर से संवेदनशील जानकारी व डेटा चुरा रहे हैं. यह खुलासा पेंटागन की नवंबर में प्रकाशित चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट में हुआ है.
चीन ने बीते एक दशक में विश्व भर में जासूसी करवाने के काम का विस्तार किया है . रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक में चीन से जुड़े आर्थिक जासूसी के मामलों में 1300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने 2020 में चीन से जुड़े कांउटरइंटेलेजेंस केस ओपन करने शुरू किए थे, जिसमें औसतन 10 घंटें में चीन से जुड़ा एक कांउटरइंटेलेजेंस केस सामने आया था, वहीं एफबीआई डायरेक्टर क्रिस्टोफर ने 2020 में कहा था कि एफबीआई ने तकरीबन पांच हजार एक्टिव कांउटरइंटेलेजेंस केस दर्ज किए हैं, जिसमें से तकरीबन आधे चीन से जुड़े हुए हैं, साथ ही पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि चीन विश्वभर से दोहरे प्रयोग होने वाले सेना से जुड़े उपकरणों का अधिग्रहण करने का प्रयास करने में जुटा हुआ है, जिसमें मरीन और नेवल टेक्नोलॉजी, ट्रेड सीक्रेटस, स्पेस और मिलट्री कम्यूनिकेशन से जुड़े उपकरण शामिल हैं.
चीन के कई नागरिक जासूसी समेत सूचना चुराने जैसे आरोपों में विदेशों में गिरफ्तार हो चुके हैं. ऐसे ही एक मामले में 2020 में एक चीनी नागरिक को मेरीटाइम रेडिम इंजन को गलत तरीके से चीन निर्यात करने की साजिश में गिरफ्तार किया गया था. इस इंजन की खास बात यह है कि यह इंजन सबमरीन को पॉवर देता है. इससे पूर्व अमेरिकी न्यायपालिका ने पांच चीनी हैकरों को 100 से अधिक कंपनियों, विवि, थिंकटैंक की गुप्त सूचनाओं में सेंध लगाने का दोषी पाया था . वहीं हालिया घटना में चीनी इंटेलेजेंसी एजेंसी के एक अधिकारी को एविशयन कंपनी की गुप्त सूचना चोरी करने की योजना बनाने का दोषी ठहराया गया था. इस घटना के बाद एफबीआई के अस्टिटेंट डायरेक्टर एलन के मुताबिक जिन्हें चीन के असल लक्ष्य को लेकर संदेह हैं, उन्हें अब यह समझना चाहिए , वह चोरी कर रहे हैं, अमेरिकी तकनीक चीन की अर्थव्यवस्था और उनकी मिट्टी को फायदा पहुंचा रही है.
चीन अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए विदेशों में रह रहे चीनी नागरिकों का प्रयोग कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक विदेश में रह रहे अपने नागरिकों पर दबाव बनाकर, उन्हें ब्लैकमेल और उनसे छल करते हुए चीन अपने मकसदों को अंजाम दे रहा है. इसके साथ ही चीन शिक्षा, शैक्षणिक संस्थानों, थिंक टैंक और मीडिया का प्रयोग भी अपनी ताकत के तौर पर कर रहा है. जिसके तहत वह दलाई लामा के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन भी करवा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देश चीन के इस मकसद को समझने में देरी कर रहे हैं, तो वहीं चीन इसका फायदा उठा रहा है, उदाहरण के तौर पर 2018 में चीन की दो कंपनियों ने इटली में आर्मी के लिए ड्रोन बनाने वाली एक एविशयन कंपनी पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया था. अब सरकार इस डील की जांच कर रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पेगासस जासूसी मामले पर ममता बनर्जी को SC से लगा झटका, पश्चिम बंगाल आयोग पर लगी रोक
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