बैतूल. बैतूल जिले में एक ऐसी ग्राम पंचायत है, जहां सौहार्द्र बनाए रखने के लिए ग्रामीणों ने आपसी सहमति से गांव की सरकार का चयन किया. जिले के चिचोली विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम देवपुर कोटमी में न तो पंचायत चुनाव का शोरगुल है, न किसी को चुनाव जीतने-हारने की कोई फिक्र. ऐसा इसलिए सम्भव हुआ, क्योंकि यहां के ग्रामीणों ने गांव के हित में सलाह-मशविरा करके बिना मतदान के ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों का चयन कर लिया.
ग्रामीणों के अनुसार जब सौहार्दपूर्ण माहौल में सबकी राजी खुशी से पदाधिकारियों का चयन हो सकता था तो फिर चुनाव की जरूरत ही क्या है? दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में ग्राम देवपुर कोटमी के 12 लोगों को असमय जान गंवानी पड़ी. इसका सीधा असर ग्रामीणों के दिल पर हुआ. ग्रामीणों में ये तय किया कि जब इस तरह सबको एकदिन जाना ही है तो फिर चुनाव में खड़े होकर लड़ाई-झगड़ा और आपसी भाईचारे को क्यों बिगड़ना. क्यों न सब मिलजुलकर अपने प्रतिनिधी का चयन कर लें. बस इसी भावना के साथ ग्रामीणों ने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया.
बिना मतदान के गांव वालों के सामने सवाल ये था कि किसे और क्यों प्रतिनिधि बनाया जाए? इस पर सभी ने विचार किया और शिक्षा को आधार बनाया. आदिवासी महिला के लिए आरक्षित सरपंच पद पर 10वीं कक्षा तक पढ़ी-लिखी महिला निर्मला को नियुक्त किया गया. वहीं, पंचों के लिए कम से कम 8वीं कक्षा तक पढ़ा-लिखा होना जरूरी है. ग्राम देवपुर कोटमी को ये आदर्श मिसाल पेश करने के बदले शासन की ओर से 5 लाख का इनाम मिलेगा. ग्रामीणों ने तय किया है कि जब भी इनाम की राशि मिलेगी उसे गांव के विकास पर खर्च किया जाएगा.
बैतूल के ग्राम देवपुर कोटमी में हुए इस नवाचार की चर्चा बैतूल सहित पूरे प्रदेश में हो रही है. कई लोग चाहते हैं कि दूसरे गांव भी इससे प्रेरणा लें और आदर्श प्रस्तुत करें. आपसी सहमति से चुनाव सम्पन्न करवाने के बावजूद अभी ग्रामीणों को इस फैसले पर मुहर लगने के लिए लम्बा इंतजार करना होगा, क्योंकि फिलहाल चुनाव परिणाम घोषित होने में लंबा समय है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के जबलपुर में प्रेमिका के गर्भवती होते ही प्रेमी ने किया शादी से इंकार, कहा मरना है तो मर जाओ
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