मुंबई. मुंबई. बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि सार्वजनिक छुट्टी, कानूनी अधिकार नहीं है. अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली के प्रशासक को 2 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया. इस दिन D&NH ने पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी.
जज जस्टिस गौतम पटेल और जज जस्टिस माधव जामदार की पीठ ने सिलवासा निवासी किशनभाई घुटिया (51) और आदिवासी नवजीवन जंगल आंदोलन की याचिका पर यह सवाल किया- ‘सार्वजनिक अवकाश के लिए आपका कानूनी अधिकार क्या है?’ याचिका में 2 अगस्त, 2022 को D&NH के ‘स्वतंत्रता दिवस’ की तारीख के रूप में शामिल नहीं करने के लिए सार्वजनिक अवकाश पर अक्टूबर 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी.
घुटिया की याचिका में कहा गया है ‘2 अगस्त, 1954 से 2 अगस्त, 2020 तक D&NH के भारतीय क्षेत्र का हिस्सा बनने के लिए सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया गया. हालांकि 2 अगस्त, 2022 को सार्वजनिक अवकाश के रूप में अधिसूचित नहीं करने का कोई औचित्य नहीं बताया गया. सवाल किया गया है कि सरकार 15 अगस्त और 26 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मना सकती है, लेकिन क्या वह D&NH के लोगों को 2 अगस्त के दिन ‘उनका मुक्ति / स्वतंत्रता दिवस मनाने’ से रोकेगी?
घुटिया के वकील भावेश परमार ने 15 अप्रैल 2019 के उस आदेश का हवाला दिया जहां एचसी ने D&NH प्रशासक को गुड फ्राइडे को सार्वजनिक अवकाश के रूप में गैजेट करने का निर्देश दिया था. परमार ने पूछा- अगर यह गुड फ्राइडे के लिए किया जा सकता है, तो दादरा और नगर हवेली के मुक्ति दिवस के लिए क्यों नहीं?
पीठ ने कहा, वैसे भी, हमारे पास बहुत अधिक छुट्टियां हैं. शायद उन्हें कम करने का समय आ गया है, किसी को भी सार्वजनिक अवकाश का मौलिक अधिकार नहीं है.’ परमार ने बताया कि 2 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश के रूप में 2020 के बाद बंद कर दिया गया. जज ने कहा- सार्वजनिक अवकाश या वैकल्पिक अवकाश घोषित करना या न करना नीतिगत विषय है. इसे कानूनी स्वरूप देने का कोई तरीका नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बॉम्बे हाईकोर्ट में आर्यन खान और अन्य आरोपियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई गुरुवार तक टली
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