पटना. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने गुरुवार को बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल के अनुमोदन के बाद बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश 2022 के लागू हो जाने बाद से राज्य में नगरीय विकास के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी. अध्यादेश जारी हो जाने के बाद अब नगरपालिका कानून में संशोधन हो गया है. अब यह प्रावधान लाया गया है कि नगरपालिका में प्रत्याशी किसी भी दल के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. इतना ही नहीं चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी भी दल के झंडा बैनर या प्रतीक चिन्ह के उपयोग की अनुमति नहीं होगी.
जानकारी के अनुसार नगर पालिका कानून के दो धाराओं में मुख्य रूप से संशोधन किया गया है. इसके साथ ही कुछ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं. धारा 23{ 1}और धारा 25 को बदल दिया गया है. धारा 23{1} में अभी तक यह प्रावधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में बहुमत से महापौर और उपमहापौर को चुन सकेंगे. लेकिन, अब संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सीधे मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को खुद चुनेंगे. वहीं धारा 25 में महापौर और उपमहापौर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद को अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था लेकिन अब संशोधन के बाद यह प्रावधान खत्म हो गया है.
पटना. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने गुरुवार को बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल के अनुमोदन के बाद बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश 2022 के लागू हो जाने बाद से राज्य में नगरीय विकास के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी. अध्यादेश जारी हो जाने के बाद अब नगरपालिका कानून में संशोधन हो गया है. अब यह प्रावधान लाया गया है कि नगरपालिका में प्रत्याशी किसी भी दल के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. इतना ही नहीं चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी भी दल के झंडा बैनर या प्रतीक चिन्ह के उपयोग की अनुमति नहीं होगी.
जानकारी के अनुसार नगरपालिका कानून के दो धाराओं में मुख्य रूप से संशोधन किया गया है. इसके साथ ही कुछ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं. धारा 23{ 1}और धारा 25 को बदल दिया गया है. धारा 23{1} में अभी तक यह प्रावधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में बहुमत से महापौर और उपमहापौर को चुन सकेंगे. लेकिन, अब संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सीधे मुख्य पार्षद से लेकर महापौर तक को खुद चुनेंगे. वहीं धारा 25 में महापौर और उपमहापौर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद को अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था लेकिन अब संशोधन के बाद यह प्रावधान खत्म हो गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार में शराबबंदी पर 15 दिनों में दूसरी बार बोले CJI- ऐसे मामलों ने अदालतों का दम घोंट रखा है
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