नई दिल्ली. देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच सरकार बजट 2022 में इसे टैक्स के दायरे में लाने पर विचार कर सकती है. टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी बजट में एक निश्चित सीमा से ऊपर क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर टीडीएस/टीसीएस लगाने पर विचार किया जा सकता है.
नांगिया एंडरसन एलएलपी के टैक्स प्रमुख अरविंद श्रीवत्सन का कहना है कि ऐसे लेनदेन को विशेष लेनदेन के दायरे में लाया जाना चाहिए. इससे इनकम टैक्स अधिकारियों को क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई के बारे में जानकारी मिलेगी. इस समय दुनिया में सबसे अधिक क्रिप्टोकरेंसी के मालिक भारत में हैं. इनकी संख्या करीब 10.07 करोड़ है.
अरविंद का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री से होने वाली कमाई पर लॉटरी, गेम शो और पजल की तरह 30 फीसदी के उच्च टैक्स स्लैब के हिसाब कर लिया जाना चाहिए. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2030 तक भारतीयों का क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बढ़कर 24.1 करोड़ डॉलर पहुंच सकता है
उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर रेगुलेशन के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद थी. हालांकि, पेश नहीं किया गया. अब उम्मीद है कि सरकार बजट सत्र में इस विधेयक (Bill) को ला सकती है. अगर सरकार ने भारतीयों को क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार से प्रतिबंधित नहीं किया तो हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इसके लिए एक प्रतिगामी टैक्स व्यवस्था ला सकती है.
अरविंद का कहना है कि बाजार के आकार, इसमें निवेश राशि और जोखिम को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्सेशन में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. उन्हें स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर एकत्र कर (टीसीएस) के दायरे में लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री और खरीद दोनों को वित्तीय लेनदेन विवरण (एसएफटी) के दायरे में लाया जाना चाहिए. ऐसा करने से इनकी निगरानी की जा सकेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में गिरावट का दौर जारी, सबसे ज्यादा गिरी इथेरियम की वैल्यू
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