जबलपुर में कोतवाली पुलिस का काम सिर्फ बर्बरतापूर्वक मारपीट करना, अपराध होते है तो होते रहे, अब वृद्धा के साथ सोने के जेवरों की ठगी

जबलपुर में कोतवाली पुलिस का काम सिर्फ बर्बरतापूर्वक मारपीट करना, अपराध होते है तो होते रहे, अब वृद्धा के साथ सोने के जेवरों की ठगी

प्रेषित समय :18:01:06 PM / Tue, Jan 18th, 2022

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में कोतवाली पुलिस का काम सिर्फ बर्बरतापूर्वक गरीब, लाचार, असहाय लोगों के साथ मारपीट कर चर्चा में बने रहना है, अपराध होते है तो होते रहे, ऐसा ही कुछ लम्बे समय से यहां पर देखने को मिल रहा है, कोतवाली क्षेत्रान्तर्गत शिवनगर में जैन मंदिर से लौट रही वृद्धा प्रथमा जैन को पुलिस का भय दिखाकर ठगों ने सोने के जेवर हड़प लिए. सुबह 9 बजे हुई घटना की रिपोर्ट वृद्धा के परिजनों ने रात 12 बजे की है, क्योंकि वे भी जानते रहे कि कोतवाली थाना पहुंचने पर सिर्फ परेशानी ही हाथ लगना है, कार्यवाही तो होना नही.

बताया गया है कि शिवनगर निवासी वृद्धा प्रथमा जैन उम्र 70 वर्ष रोज की तरह सुबह 9.30 बजे के लगभग मंदिर से दर्शन करके अपने घर के लिए रवाना हुआ, जब वे डाक्टर मौर्य के घर के सामने से गुजर रही थी, इस दौरान दो युवक आए जिन्होने वृद्धा रोकनते हुए कहा कि आगे पुलिस खड़ी है, जेवर उतारकर रख लें, इसके बाद स्वयं ही वृद्धा की मदद करने का नाटक करते हुए सोने की लॉकेट लगी चैन, दो चूडिय़ा स्वयं रखते हुए दूसरी कागज की पुडिय़ा में बैनटेक्स के जेवर रखकर दे दिए. वृद्धा घर पहुंची और जैसे ही पुडिय़ा खोली तो उसमें अपने जेवर न देखकर स्तब्ध रह गई, परिजनों को जानकारी लगी तो उन्होने रात 12.15 बजे थाना कोतवाली पहुंचकर पुलिस को घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसपर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया. इसी तरह विजय नगर में भी क्षेत्र में होने की खबर रही.  कोतवाली क्षेत्र में हुई वृद्धा के साथ ठगी की वारदात को लेकर लोगों में यही चर्चा रही कि यहां पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ कागजी कार्यवाही होना है क्योंकि यहां पर सिर्फ चर्चाओं में बने रहने के लिए सिर्फ गरीब, असहाय, मजबूर लोगों को परेशान किया जाता है, हाथ ठेला, चाय, पान की दुकान लगाने वालों के साथ मारपीट करना यहां के मुखिया का शौक है, अपराधिक घटनाओं से तो कोई मतलब नहीं है, यहां पर सिर्फ यही होता कि किस तरह से चर्चाओं में बने रहे, शाम होते ही थाना के सामने चेकिंग के नाम पर लोगों को किस तरह से परेशान किया जाए. खैर लोगों का कहना है कि यह तो पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ही बेहतर जाने क्या होना चाहिए, क्योंकि एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा की कोशिश यही रहती है कि अपराधों पर अंकुश लगे, घटनाक्रमों का जल्द खुलासा हो, लेकिन अधीनस्थ अधिकारी शायद एसपी की मंशा को दरकिनार रखते हुए स्वयं चर्चाओं में रहने का काम कर रहे है. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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