कोरोना की इन दवाओं का कर रहे हैं इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान

कोरोना की इन दवाओं का कर रहे हैं इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान

प्रेषित समय :10:32:57 AM / Fri, Jan 21st, 2022

देश में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फिलहाल अधिकतर संक्रमितों में हल्के लक्षण मिल रहे है. लोग होम आइसोलेशन में रहकर कोविड से रिकवर हो रहे हैं, लेकिन देखा जा रहा है सोशल मीडिया या टीवी के माध्यम से मिली जानकारी के हिसाब से  लोग खुद का इलाज़ कर रहे हैं. वह बिना डॉक्टरी सलाह के कोरोना के इलाज़ में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की दवाएं हर मरीजों के लिए नहीं है. इनका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

कोरोना के बहुत से मरीज ख़ुद से इलाज कर रहे हैं. अगर उनमें मामूली खांसी और सर्दी के लक्षण भी दिखाई देते हैं तो वे मोलनुपिराविर और रेमडेसिविर जैसी दवाएं ले रहे हैं. अगर आप मोलनुपिराविर बिना डॉक्टर की सलाह के लेते हैं तो टेराटोजेनिसिटी (विकासशील भ्रूण में समस्या) और म्यूटेजेनिसिटी (बीमारियों के लिए लीडिंग जीन में बदलाव) हो सकता है. ये दवाएं हृदय की कार्टिलेज और मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसी तरह रेमडेसिविर भी डॉक्टरों की सख्त निगरानी में ही लेना चाहिए. जिन लोगों को लीवर या किडनी की बीमारी है, और जो गर्भवती महिला हैं , उन्हे भी इस दवा के सेवन से बचना चाहिए. इससे गंभीर सिरदर्द, धीमी या तेज़ दिल की धड़कन, घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, चेहरे पर सूजन, मतली, खुजली और अन्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के डॉ.कर्नल विजय दत्ता का का कहना है कि मोलनुपिराविर के दुष्प्रभावों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी इसके सेवन की सलाह नहीं देता है. आईसीएमआर ने भी इसे अपनी सूची से हटा दिया है. लोगों को यह समझने की जरूरत है कि मोलनुपिराविर या रेमडेसिविर जैसी दवाएं हर किसी के सेवन के लिए नहीं होती है.

ऐसे समझें कि कब है दवा की जरूरत

कोविड एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने पर सबसे पहले लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. यदि मरीज को खांसी-जुकाम या बुखार है, लेकिन सांस लेने में परेशानी नहीं हो रही है तो उसे हल्के लक्षणों में रखा जाता है. ऐसे मरीजों को किसी विशेष दवा की जरूरत नहीं होती. सिर्फ बुखार होने पर पैरासिटामिल दी जानी चाहिए.

अगर किसी संक्रमित का ऑक्सीजन लेवल 93 फीसदी से कम है या पांच दिनों से तेज बुखार है, तो इनको मॉडरेट लक्षण माना जाता है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर अस्पताल जाना चाहिए. वहीं, अगर किसी संक्रमित का ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आ गया है और रेस्पिरेटरी रेट प्रति मिनट 30 से ऊपर है तो इसे गंभीर लक्षण माना जाता है. ऐसे मरीज को तुरंत आईसीयू सपोर्ट की जरूरत होती है. इन दोनों स्थिति में मरीज को दवाएं दी जानी चाहिए.

आईसीएमआर ने भी जारी की है गाइडलाइंस

आईसीएमआर ने कोविड मपीजों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं. जिसमें  कहा गया है कि कोरोना के गंभीर लक्षणों वाले मरीज या जिन संक्रमितों को आईसीयू में भर्ती किया जा रहा है. उन्हें भर्ती होने के 24 से 48 घंटे के बीच टोसिलीजुमाब दवा दे सकते हैं. रेमडेसिविर केवल उन्हीं मरीजों को दी जाएगी जिनमें कोरोना के लक्षण दस दिनों से ज्यादा समय तक बने हुए हैं. पहले रेमडेसिविर को लक्षण आने के पांच दिन बाद देने की सलाह दी जाती थी. नई गाइडलाइन में यह मेथेपेरेडनिसोलोन या डेक्सामीथसोन केवल उन्हीं मरीजों को दी जाएगी जिनमें पांच से दस दिनों तक कोरोना के हल्के लक्षण बने हुए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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