दिल्ली HC ने अमरिंदर सिंह की याचिका की खारिज, कहा- आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान आरोपी का कोर्ट में मौजूद रहना अनिवार्य

दिल्ली HC ने अमरिंदर सिंह की याचिका की खारिज, कहा- आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान आरोपी का कोर्ट में मौजूद रहना अनिवार्य

प्रेषित समय :13:07:31 PM / Sun, Jan 30th, 2022

नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों की सुनवाई में आरोपी की मौजूदगी को जरूरी बताया गया है. जहां पर हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा है कि आरोपी अपने खिलाफ होने वाली आपराधिक मामले की कार्यवाही में शामिल होने के लिए किसी को विशेष पावर ऑफ अटॉर्नी देकर नहीं भेज सकता. वहीं, जस्टिस रजनीश भटनागर ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की पिटीशन को खारिज करते हुए की है. चूंकि आपराधिक मामले में फरार आरोपी अमरिंदर सिंह उर्फ राजा ने याचिका में अपने खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को बंद करने की मांग की थी.

दरअसल, आरोपी ने सुखविंदर सिंह को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी देकर हाई कोर्ट में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 और अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत यह पिटीशन दायर की गई थी. इस दौरान कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के दौरान खारिज करते हुए कहा कि आपराधिक मामले की सुनवाई में आरोपी की शारीरिक रूप में कोर्ट में मौजूदगी अनिवार्य है. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष की उपस्थिति आपराधिक न्याय प्रणाली के उद्देश्य को पराजित करेगी. इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि आरोपी ने किसी दूसरे शख्स को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी देकर पिटीशन दायर की है, ऐसे में यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है.

बता दें कि आरोपी ने इस पिटीशन के जरिए से उसके खिलाफ 2010 में दर्ज FIR और इस मामले में उसे भगोड़ा घोषित करने और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को बंद करने की मांग हाई कोर्ट से दरख्वास्त की थी. इस दौरान कोर्ट ने पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कहा है कि फिलहाल सभी तथ्यों और कानूनी प्रावधानों के मद्देनजर आरोपी अमरिंदर सिंह उर्फ राजा के खिलाफ दर्ज मुकदमा को बंद नहीं किया जा सकता है.

वहीं इस मामले में आरोपी के खिलाफ साल 2010 में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था और मार्च 2016 में अदालत ने उसे फरार घोषित कर दिया था. चूंकि वारंट जारी होने के बाद भी आरोपी पुलिस की गिरफ्त से फरार चल रहा था. इसके बाद दंड़ संहिता की CRPC की धारा 82 व 83 के तहत आरोपी को भगोड़ा घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की गई. हालांकि इसी के बाद आरोपी ने एक व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी देकर अपनी तरफ से मुकदमा खारिज करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने के लिए रजिस्टर्ड किया था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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