चुनाव से पहले प्रयागराज के ‘संत समागम’ में बापू पर विवादित टिप्पणी

चुनाव से पहले प्रयागराज के ‘संत समागम’ में बापू पर विवादित टिप्पणी

प्रेषित समय :10:34:32 AM / Sun, Jan 30th, 2022

प्रयागराज.  उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के संत सम्मेलन में महात्मा गांधी पर विवादित बयान सामने आया है. अनुयायियों से भारत के साथ हिंदू राष्ट्र लिखने की मांग की गई है. वहीं मुसलमानों का अल्पसंख्यक दर्जे को खत्म करने की मांग की गई है. वहीं, इससे पहले भी धर्मसंसद पर कई तरह की बातें उठी थी. जिसे लेकर सवाल खड़े हुए थे. इस दौरान देश की सरकार के सामने कुछ बड़े प्रस्ताव भी रखे गए हैं. जिसमें उन्होंने यति नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की रिहाई की तो मांग की.

वहीं, शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने धर्म संसद में मांग की है कि उत्तराखंड सरकार बिना शर्त नरसिंघानंद यति और जितेंद्र नारायण त्यागी को एक महीने के भीतर तुरंत रिहा करें. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है. उन्होंनेन्हों ये भी कहा कि धर्मांतरण करने वालों को फांसी और हिंदुओं को 5 बच्चे पैदा करने  की अपील की हैं.

बता दें कि पहले प्रस्ताव में धर्म संसद में मौजूद संतों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की बात कही है. वहीं, दूसरे प्रस्ताव में धर्मांतरण के मामलों को पूरी तरह से रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने की मांग की गई और धर्मांतरण कराने वालों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की गई. तीसरे प्रस्ताव में हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने वाले स्वामी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को बिना शर्त जेल से रिहा किए जाने की भी मांग की गई .

वहीं, महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने इस्लामिक धर्म को लेकर अपनी खूब भड़ास निकाली और जिहादी बिल्ली बताते हुए हिंदुओं को कबूतर बता दिया. उनकी तरफ से कहा गया कि जो भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है और जो हिंदुओं का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें पाकिस्तान या फिर बांग्लादेश वापस चले जाना चाहिए.

गौरतलब है कि संत केशरी महाराज ने इस धर्म संसद से मुस्लिमों की जातियां गिनाते हुए कहा है कि 3 जगहों से फतवा जारी किए जाते हैं. ऐसे में उनकी भारत सरकार से मांग की है कि इन संस्थाओं को खत्म कर दिया जाए. इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हम अपने देवी-देवताओं से शिक्षा ग्रहण कर अपने हाथों में अस्त्र शस्त्र धारण करें. इसके साथ ही उन्होंने देश का रक्षा बजट बढ़ाने की भी अपील की गई और देशद्रोहियों को गर्म तेल से स्नान करवाने की पैरवी रही. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी को भी राष्ट्रपिता मानने से मना कर दिया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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