पलपल संवाददाता, जबलपुर/विदिशा. मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री व जबलपुर के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव के साढ़ूभाई शोभित त्रिपाठी को आज राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने गिरफ्तार कर लिया है. शोभित त्रिपाठी जिला पंचायत में सीईओ के पद पर पदस्थ है, अपने पद का दुरुपयोग करते हुए श्री त्रिपाठी ने कोरोना काल में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में शादियों के नाम पर फर्जीवाड़ा करते हुए 30 करोड़ रुपए से ज्यादा का पेमेंट करा दिया. जबलपुर के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव के साढ़ूभाई सीईओ शोभित त्रिपाठी के गिरफ्तार होने की खबर से हड़कम्प मचा हुआ है.
बताया गया है कि विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत में कोरोना कॉल में 5 हजार 923 विवाह के मामले स्वीकृत कर 30 करोड़ 18 लाख 39 हजार रुपए का पेमेंट कर दिया गया, इस मामले को शीतकालीन सत्र में सिरोंज से भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने उठाया, जिसपर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने श्रम मंत्री ब्रजेन्द्र प्रतापसिंह को जांच के आदेश दिए, वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी घोटाले पर नाराजगी जताई, इसके बाद ही सीईओ शोभित त्रिपाठी को सस्पेंड कर दिया गया था. इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने करते हुए सीईओ शोभित त्रिपाइी सहित अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था, जांच में यह तथ्य सामने आए कि कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन था, सार्वजनिक विवाद समारोह पर प्रतिबंध रहा, इसके बाद जिला पंचायत सिरोंज के सीईओ ने एक अप्रेल 2020 से 30 जून 2021 के बीच 35 सौ हितग्राहियों को विवाह सहायता के नाम पर रुपया वितरित कर दिया, जिसमें ऐसे लोग भी शामिल है जिनकी शामिल पहले ही हो चुकी थी, उनके नाम पर भी सरकारी सहायता राशि निकाल ली गई, यह रुपया सीएम विवाह योजना के तहत ही निकाला गया है, मामला सामने आने के बाद शोभित त्रिपाठी को सस्पेंड कर दिया गया था, जांच एजेंसी को मिले साक्ष्य में सिरोंज में वर्ष 2019 से 2021 के बीच 5923 शादियां की गई हैं. सभी हितग्राहियों को 51-51 हजार रुपए वितरित किए गए हैं. ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की तो तथ्य मिले कि कोरोना कॉल में एसडीएम ने 35 सौ जोड़ों के नाम पर शासकीय रुपए निकाले है.
जिन्होने सहायता के लिए आवेदन नहीं दिए, उनके नाम पर निकला रुपया-
ईओडब्ल्यू को जांच में ऐसे तथ्य मिले है, जिससे अधिकारी भी आश्चर्यचकित है, 27 साल के युवक की तीन बेटियों की शादी करा दी गई तीनों के नाम पर 51-51 हजार रुपए निकाल लिए गए, कई ऐसे लोगों भी सामने आए है जिन्होने सहायता के लिए आवेदन भी नहीं दिया फिर भी उनके नाम पर रुपया निकाला गया, इस घोटाले के सामने आने के बाद अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के कई दस्तावेज भी गायब कर दिए है, एसडीएम के अलावा अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है जिनकी जांच की जा रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में कोल्ड-डे के आसार, इन राज्यों में बरस सकते हैं बादल
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