आतंकी संबंधों के चलते पाकिस्तानी राजदूत की US में रुकी नियुक्ति, खिसियाए PAK ने भारत पर मढ़ा दोष

आतंकी संबंधों के चलते पाकिस्तानी राजदूत की US में रुकी नियुक्ति, खिसियाए PAK ने भारत पर मढ़ा दोष

प्रेषित समय :20:36:31 PM / Thu, Feb 3rd, 2022

नई दिल्ली. पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत की नियुक्ति को लेकर बवाल मचा हुआ है. पड़ोसी मुल्क द्वारा यह कहा गया है कि भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के पूर्व राष्ट्रपति की अमेरिका में राजदूत के रूप में नियुक्ति को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को पाकिस्तान के इस आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान के आरोपों पर कहा, ‘किसी दूसरे देश के राजदूत की नियुक्ति में देरी के लिए किसी तीसरे देश को दोष देना बेतुका है.

दरअसल, प्रवासी भारतीयों के एक शीर्ष समूह ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से देश में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में मसूद खान की नियुक्ति को खारिज करने की अपील करते हुए आरोप लगाया कि खान आतंकवादी संगठनों का समर्थक है. फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज ने बुधवार को एक बयान में बाइडन से आग्रह किया कि वह जिहादी-आतंकवादी समर्थक मसूद खान की अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत के रूप में नियुक्ति को खारिज कर दें. एफआईआईडीएस ने कहा, ‘हम विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और विदेश मामलों पर सीनेट और प्रतिनिधि सभा की समितियों के सदस्यों से भी इसका समर्थन करने का अनुरोध करते हैं.

समूह ने कहा, मसूद खान ने कई बार जिहादी-आतंकवादियों के लिए नरम रुख दिखाया है, जिसमें आफिया सिद्दीकी भी शामिल है. जिसे लेडी अल-कायदा के नाम से जाना जाता है. अमेरिकी कानून के तहत घोषित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन (एचयूएम) और जमात-ए-इस्लामी आदि के प्रति उनका समर्थन न केवल अमेरिकी हितों के लिए बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी नुकसानदायक है. एफआईआईडीएस भारत-अमेरिका नीति पर अध्ययन और जागरूकता के लिए अमेरिका-स्थित एक संस्थान है.

एफआईआईडीएस ने कहा, अमेरिका में खान की राजनयिक भूमिका आतंकवादी संगठनों के लिए अमेरिकी संस्थानों तक पहुंच का मार्ग खोल सकती है. इसके अलावा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के प्रमुख के रूप में उनकी पूर्व में सक्रिय भूमिका अपने रणनीतिक साझेदार भारत के साथ अमेरिकी संबंधों को जटिल बनाएगी. तालिबान के प्रति उनके समर्थन से अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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