रूढ़िवादी मुस्लिम देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार न्यायमूर्ति आयशा मलिक ने सोमवार को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने सर्वोच्च न्यायालय के समारोह सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 55 वर्षीय जस्टिस मलिक को शपथ दिलाई. उनके नाम को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की भी मंजूरी मिल चुकी थी.
मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने कहा कि सुश्री मलिक सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए पर्याप्त रूप से योग्य थीं और उनकी पदोन्नति के लिए कोई भी श्रेय का हकदार नहीं है. उनकी नियुक्ति पर सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने उन्हें ऐतिहासिक ऊंचाई के लिए बधाई दी.
न्यायमूर्ति आयशा मलिक लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर होने के बावजूद शीर्ष स्थान के लिए चुनी गई हैं. उनका नामांकन पिछले साल पाकिस्तान के न्यायिक आयोग ने खारिज कर दिया था. लेकिन आयोग ने इस माह की शुरुआत में उन्हें पांच में से चार के बहुमत के साथ मंजूरी दे दी.
कौन हैं आयशा मलिक
तीन जून 1966 को जन्मी आयशा मलिक ने कराची ग्रामर स्कूल से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद कराची के ही गवर्नमेंट कालेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से स्नातक की उपाधि ली थी. इसके बाद लाहौर के कॉलेज ऑफ लॉ से डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में मेसाच्यूसेट्स के हॉवर्ड स्कूल ऑफ लॉ से एलएलएम (विधि परास्नातक) की पढ़ाई की. उन्हें 1998-1999 में 'लंदन एच गैमोन फेलो' भी चुना गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी चुनाव में पाकिस्तान की एंट्री: बीजेपी बोली- अखिलेश यादव पाकिस्तान को दुश्मन नहीं मानते
पाकिस्तान ने की बड़ी घोषणा: चीन के 36 लोगों को देगा 1 करोड़ 16 लाख डॉलर का मुआवजा
पाकिस्तान कोर्ट ने ईशनिंदा के लिए युवती को सुनाई मौत की सजा, दोस्त ने लगाए थे गंभीर आरोप
पाकिस्तान समर्थित 35 यूट्यूब चैनल भारत विरोधी फर्जी खबरें फैलाने पर हटाए गये
Leave a Reply