मुंबई. हिजाब-भगवा विवाद का असर महाराष्ट्र के मालेगांव, बीड और औरंगाबाद जैसे इलाकों में दिखाई दे रहा है. कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुए इस विवाद पर अब महाराष्ट्र के इन इलाकों से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कर्नाटक के एक मौलाना ने नासिक जिले के मालेगांव में शुक्रवार को हिजाब दिवस मनाने का आह्वान किया है. औरंगाबाद के एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील ने ड्रेस कोड के नाम पर हिजाब बैन का समर्थन करने वालों से सवाल किया है कि राजस्थान से बीजेपी की महिला सांसद को जब सर पर पल्लू ओढ़ने के लिए कुछ नहीं कहा जाता, तो मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पर सवाल क्यों? एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
नवाब मलिक ने कहा कि अपनी पसंद का खाना और अपनी पसंद का पहनना, यह हर भारतीय का मौलिक अधिकार है. बीजेपी और संघ परिवार लोगों के खाने और पहनने पर नियंत्रण लाकर मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है. मेरा सवाल है कि क्या मुस्लिम लड़कियां पढ़ने जा रही हैं, इससे उन्हें परेशानी है? फिर बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ के आपके नारे का क्या? कोई दुपट्टे डालकर अपना सर ढंके, यही भारतीय संस्कृति भी है. हिजाब पहनना मतलब मुंह या पहचान छुपाना नहीं होता. हिजाब और बुरखे में अंतर है. हिजाब में सर ढंका जाता है, बुरखे में मुंह भी ढंका जाता है. केरल हाई कोर्ट ने अपना फैसला दिया है कि लड़कियां हिजाब पहन सकती है. अब कर्नाटक हाई कोर्ट में मामला गया है. फैसले का इंतजार है.
मंगलवार को जमीयत-उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलानाओं की बैठक विधायक मौलाना मुफ्ती इस्माइल के नेतृत्व में हुई. इसी मीटिंग में यह फैसला किया गया. गुरुवार को महिला मिलन का एक कार्यक्रम रखा गया है. वहां हिजाब का समर्थन करने के लिए हिजाब और बुरखाधारी महिलाओं को बुलाया गया है. मौलाना मुफ्ती ने यह भी जानकारी दी कि शुक्रवार को मालेगांव में ‘हिजाब दिन’ के तौर पर मनाया जाएगा. सभी महिलाएं उस दिन बुरखा पहनेंगी. उन्होंने कहा भारत में हर धर्म को अपने रीति-रिवाजों के मुताबिक रहने की आजादी है. मुस्लिम छात्राएं अपने मजहब और रीति-रिवाजों के हिसाब से हिजाब पहन रही हैं. अपने जिस्म को पूरी तरह से ढंक कर चल रही हैं. इसके विरोध की वजह क्या है? यह समझ से बाहर है.
इस मुद्दे पर एआईएमआईएम से औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील ने राष्ट्रपति द्वारा बाबा साहेब आंबेडकर का उल्लेख करते हुए संसद में दिए एक भाषण का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य स्वतंत्रता, समानता और विविधता को कायम रखने का होना चाहिए. लेकिन कर्नाटक के उडुपी में कुछ छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से कॉलेज में क्लास करने से रोक दिया गया. अगर स्वतंत्रता और समानता की नीति का पालन किया गया होता तो उन्हें नहीं रोका गया होता. इसी तरह लोकसभा में आज भी राजस्थान से बीजेपी की एक महिला सांसद सर पर पल्लू ओढ़ कर आती हैं. क्योंकि यह उनकी तहजीब का हिस्सा है. क्या उनको जाकर आप कहेंगे कि सर से पल्लू हटाएं?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र: मां ने 1 लाख में बेटे को बेचा फिर कर दिया किडनैपिंग का केस
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