अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर, बॉन्ड यील्ड 30 महीने के हाई पर

अमेरिका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर, बॉन्ड यील्ड 30 महीने के हाई पर

प्रेषित समय :12:32:36 PM / Fri, Feb 11th, 2022

न्यूयार्क. कोरोना महामारी के बाद ग्लोबल इकोनॉमी इस समय महंगाई और बढ़ती बॉन्ड यील्ड से परेशान है. जनवरी महीने में अमेरिका में महंगाई दर चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. रिटेल इंफ्लेशन रेट 7.5 फीसदी पर पहुंच गया जो फरवरी 1982 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. महंगाई से उपभोक्ता परेशान हैं, वेतन वृद्धि प्रभावित हो रही है. महंगाई बढ़ने के कारण फेडरल रिजर्व पर इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है. वर्कर्स की कमी, सप्लाई-चेन प्रॉब्लम, ऐतिहासिक लो इंट्रेस्ट रेट और खर्च में तेजी के कारण पिछले एक साल से महंगाई में लगातार उछाल आ रहा है. दूसरी तरफ बॉन्ड यील्ड में भी तेजी देखी जा रही है. गुरुवार को 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 2 फीसदी के पार हो गई. यह अगस्त 2019 के बाद का सर्वोच्च स्तर है. बॉन्ड यील्ड में उछाल और महंगाई में तेजी के कई मायने हैं. अगर आप निवेशक हैं तो इन बातों को समझना जरूरी है.

अमेरिका में मंथली आधार पर महंगाई में उछाल आ रहा है. दिसंबर के मुकाबले जनवरी में महंगाई में 0.6 फीसदी की तेजी आई है. यह इकोनॉमिस्ट के अनुमान के मुकाबले ज्यादा है. अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में महंगाई दर में 0.7 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी, जबकि सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में महंगाई में 0.9 फीसदी का उछाल आया था.

2 फीसदी के मुकाबले 7.5 फीसदी पर महंगाई दर

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंफ्लेशन का टार्गेट 2 फीसदी रखा है. ऐसे में 7.5 फीसदी का इंफ्लेशन बहुत ज्यादा है. महंगाई बढ़ने में दो फैक्टर अहम हैं. पहला डिमांड बढ़ गया है, दूसरा सप्लाई की समस्या है. डिमांड के कारण इंफ्लेशन से साफ है कि इकोनॉमिक रिकवरी बहुत तेजी से हो रही है. रोजगार के मोर्चे पर सुधार देखा जा रहा है. जनवरी में रोजगार डेटा उम्मीद से बेहतर रहा. वहां वर्कर्स की शॉर्टेज शुरू हो गई है, जिसके कारण घंटे के कामकाज का चार्ज (hourly wages) बढ़ गया है.

भारत पर कैसे होता है अमेरिका में महंगाई बढ़ने का असर?

अमेरिका में महंगाई बढ़ने का भारत पर बहुत असर होता है. भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. अमेरिका समेत दुनिया के अन्य देशों में महंगाई बढ़ने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा. इससे ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा और राजकोषीय घाटा और बढ़ेगा. रुपए में गिरावट आएगी. महंगाई पर कंट्रोल करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व टैपर प्रोग्राम के साथ-साथ इंट्रेस्ट रेट में समय से पहले बढ़ोतरी करेगा. दिसंबर की बैठक में फेडरल रिजर्व ने इशारा दिया था कि मार्च तक इंट्रेस्ट रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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