न्यूयार्क. अमेरिका में महंगाई की दर पिछले 40 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. यह 7.5% के लेवल पर है. फरवरी 1982 में 7.6 प्रतिशत की महंगाई देखी गई थी. यहां के लेबर डिपार्टमेंट ने यह आंकड़ा जारी किया है.
हालांकि जनवरी 2022 में महंगाई की दर जून 1982 के लेवल पर पहुंची थी. उसकी तुलना में यह इस बार थोड़ी और ज्यादा बढ़ी है. वैसे महंगाई की चिंता केवल अमेरिका के लिए ही नहीं है. भारत में भी कुछ इसी तरह की बात है. गुरुवार को ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई आगे और बढ़ेगी. इसका मतलब लोगों को तुरंत कोई राहत नहीं मिलने वाली है. भारत में खुदरा महंगाई की दर दिसंबर महीने में 5.6 प्रतिशत पर थी.
अमेरिका में डिमांड ज्यादा
महंगाई का जो कारण है वह यह कि अमेरिका में डिमांड बहुत ज्यादा है और कोविड की वजह से सप्लाई कम हो गई है. लेबर डिपार्टमेंट ने कहा कि अमेरिका में मजदूरी दर पिछले 20 सालों में सबसे तेजी से बढ़ी है. यहां के लांज एंजलिस और लॉन्ग बंदरगाहों पर पिछले महीने से हजारों मजदूर बीमार पड़े हैं. इस वजह से सामानों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है.
अधिकतर देशों में महंगाई बढ़ी है
वैसे पिछले साल दुनिया के अधिकतर देशों में महंगाई बढ़ी है. ब्रिटेन में भी यह 30 साल के ऊपरी स्तर पर है. अमेरिकी सरकार ने कहा है कि बिजली और खाने की कीमतों में बेतहाशा बढ़त हुई है. इसके साथ ही अमेरिकी सेंट्रल बैंक अब मार्च महीने में ब्याज दरों में आधा पर्सेंट की बढ़ोत्तरी कर सकता है. गुरुवार को यह खबर आने के बाद आज भारत के शेयर बाजार पर इसका बुरा असर दिखा है.
अनुमान से ज्यादा रही महंगाई की दर
अमेरिकी अर्थशास्त्रियों का कहना था कि जनवरी के महंगाई के आंकड़े जब जारी होंगे तो वे और ज्यादा बढ़ेंगे. हालांकि, उनका अनुमान 7.3त्न का था जो कि उससे भी ज्यादा 7.5त्न पर है. रिपोर्ट के अनुसार, कीमतों में तेजी के लिए जो कारण हैं, वे अभी भी बने हुए हैं. इसलिए हाल-फिलहाल इसके कम होने के कोई आसार नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि इस साल के अंत तक महंगाई की दर कम होकर 4त्न तक हो सकती है.
ग्राहकों के उपयोगी सामानों की कीमतें बढ़ीं
हालांकि अमेरिका के अन्य आंकड़े बताते हैं कि ग्राहकों के उपयोगी सामानों की कीमतें दिसंबर से जनवरी के बीच केवल 0.4 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि नवंबर से दिसंबर के दौरान यह 0.6 प्रतिशत बढ़ी थी. इस वजह से यहां लोग गैस, किराया, खाने पीने के सामान में अब कटौती कर रहे हैं और इससे काफी परेशान हो रहे हैँ. महंगाई की यह दर अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ममता बनर्जी बोलीं- बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए बजट में कुछ नहीं
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