गीता कुमारी की कविता - माँ की ममता

गीता कुमारी की कविता - माँ की ममता

प्रेषित समय :19:23:02 PM / Fri, Feb 11th, 2022

माँ की ममता

घुटनों से रेंगते-रेंगते

कब पैरों पर खड़ी हुई

तेरी ममता की छांव में

जाने मैं कब बड़ी हो गई

काला टीका दूध मलाई

आज भी सब कुछ वैसा है

मैं ही मैं हूं हर जगह

प्यार ये तेरा कैसा है

माँ की ममता बड़ी निराली

जीवन में लाती है हरियाली

जिसने भी समझी माँ की ममता

खुशियों भरा जीवन वो है पाता

सीधी-साधी भोली-भाली

मैं ही सबसे अच्छी हूँ

कितनी भी हो जाऊँगी बड़ी

माँ मैं आज भी तेरी बच्ची हूँ

- गीता कुमारी

गरुड़, बागेश्वर

उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

बिश्वनाथ घोष का जियो बनारस कविता संग्रह में बनारस की जीवंतता

प्रियंकाजी, ये कविता मैंने आपकी घटिया राजनीति के लिए नहीं लिखी: पुष्यमित्र

कविता कौशिक ने अपने लंबे बालों को कैंसर पीड़ितों के लिए किए डोनेट

तेलंगाना: वोटर्स को रिश्वत देने का मामला, टीआरएस सांसद मलोथ कविता को 6 महीने की जेल

शिल्पा शेट्टी ने इंस्टा पोस्ट में किया राज कुंद्रा ने एक्स वाइफ कविता को लेकर चौंकाने वाला खुलासा

Leave a Reply