काठमांडू. नेपाल की राजधानी काठमांडू में इन दिनों अमेरिका की मदद के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. संसद के पास पुलिस ने रविवार को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की. प्रदर्शनकारी अमेरिका की ओर से फंड किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम का विरोध कर रहे थे, जिसे संसद में पेश किया गया है. पुलिस के साथ झड़प में कुछ प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं.
भारत-नेपाल को जोड़ने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट भी शामिल हैं. इस सहायता राशि को वापस भी नहीं करना है. लेकिन, विरोधियों का कहना है कि समझौते में संशोधन होना चाहिए. क्योंकि इसके कुछ प्रावधानों से नेपाल की संप्रभुता को खतरा हो सकता है. विरोधियों का कहना है कि यह समझौता चीन के प्रभाव को कम करने के लिए किया जा रहा है, जबकि नेपाल किसी देश के खिलाफ नहीं जाना चाहता. वो सबसे अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहता है. अमेरिका इस मदद के बहाने नेपाल में अपने सैन्य अड्डे बना सकता है. यह चीन को रोकने की उसकी रणनीति है.
जोरदार विरोध के बावजूद, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने संसद में एग्रीमेंट रखा और कहा कि प्रोजेक्ट से नेपाल की 3 करोड़ आबादी में से 2.4 करोड़ को फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि अनुदान देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण टूल होगा. नेपाल और अमेरिका ने वर्ष 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसका उद्देश्य नेपाल में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है जिसमें विद्युत पारेषण लाइन और राष्ट्रीय राजमार्गों का सुधार शामिल है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तराखंड पुलिस में इन पदों पर आवेदन करने की कल है अंतिम डेट
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