नजरिया. शराब जैसी बुराई से निपटना आसान नहीं है, क्योंकि इसे पीनेवालों और पिलानेवालों का बहुत बड़ा नेटवर्क है?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी की कामयाबी के लिए लगातार सक्रिय जरूर हैं, लेकिन बिहार को पूरी तरह से शराबमुक्त करना बेहद मुश्किल है!
गुजरात इसका उदाहरण है, जहां शराबबंदी की क्या हालत है, किसी से छिपी नहीं है?
खबर है कि शराब को लेकर बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब शराब पीनेवालों को जेल नहीं भेजा जाएगा, बशर्ते, शराब पीने वाला व्यक्ति शराब के स्रोत की जानकारी दे दे!
मतलब.... शराबी को यह बताना होगा कि उसे कहां और किससे शराब मिली?
और.... इस जानकारी के बाद अगर पुलिस या उत्पाद विभाग की कार्रवाई में बताई गई जगह से शराब बरामद हो जाती है या शराब बेचने वाला पकड़ा जाता है, तो शराब पीनेवाले को जेल नहीं भेजा जाएगा!
शराबबंदी की कामयाबी केवल कानून के भरोसे नहीं मिल सकती है, इसमें जनता का प्रत्यक्ष और परोक्ष सहयोग तो चाहिए ही, सबसे बड़ी जरूरत यह है कि जिनके जिम्मे शराबबंदी की व्यवस्था है, वे वास्तव में ईमानदारी से कितने सक्रिय हैं?
मजेदार बात यह है कि शराबबंदी के मुद्दे पर सरकार आ सकती है, तो जा भी सकती है, इसलिए सियासी सयानों का मानना है कि नीतीश कुमार की कोशिश तो अच्छी है, किन्तु इसका सियासी नुकसान उठाने के लिए भी उन्हें तैयार रहना चाहिए!
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