गांधीनगर. गुजरात विधानसभा में बजट सत्र का पहला दिन कांग्रेस पार्टी के विरोध के चलते हंगामे भरा रहा. इस दौरान कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इस व्यवधान से परेशान होकर राज्यपाल आचार्य देवव्रत को बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में अपना पारंपरिक भाषण भी जल्दी निपटाना पड़ा. विरोधी दलों के लगभग 50 विधायक सदन में लगातार नारेबाजी कर रहे थे और इस दौरान उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिनपर अलग-अलग मुद्दों के बारे में लिखा हुआ था. नारेबाजी के बीच राज्यपाल ने महज पांच मिनट का अभिभाषण दिया और वो सदन से निकल गए. राज्यपाल के सदन से चले जाने के बाद उनके बाकी के भाषण को सदन में पेश किया गया.
राज्यपाल ने अपने पारंपरिक अभिभाषण की शुरुआत महात्मा गांधी को याद करते हुए की. इसी दौरान कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ विधायक वीरजी ठुम्मर ने बीच में दखल दिया और राज्यपाल से अनुरोध किया कि पहले वो बीजेपी सरकार से कहें कि वो गांधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की सराहना करना बंद करें. विपक्षी दलों की और से लगातार हो रही नारेबाजी को नकारते हुए राज्यपाल ने अपना अभिभाषण जारी रखा, लेकिन ठुम्मर के बाद कांग्रेस पार्टी के एक और वरिष्ठ विधायक खड़े होकर नारेबाजी करने लगे और हाल ही में मुंद्रा पोर्ट समेत राज्य के अन्य इलाकों से ड्रग्स मिलने और राज्य की कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी के इस्तीफे की मांग करने लगे.
इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने की नारेबाजी
बाद में अन्य विधायकों ने भी इन वरिष्ठ विधायकों के विरोध में सुर मिलाते हुए बीजेपी सरकार के खिलाफ अलग-अलग मामलों को लेकर सदन में नारेबाजी शुरू कर दी. इस दौरान विधायक क्लर्क भर्ती परीक्षा से जुड़े पेपर लीक और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को लेकर भी नारेबाजी कर रहे थे. कांग्रेस पार्टी के विधायक ललित कगथरा ने गुजरात में कोरोनावायरस संक्रमण से होने वाली मौतों और मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा देने का मामला उठाया. विधायकों की ओर से की जा रही नारेबाजी से हो रहे शोर के बीच राज्यपाल ने अपने अभिभाषण को छोटा किया और जल्दी से खत्म कर के वो सदन से निकल गए.
अभिभाषण में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस का जिक्र
राज्यपाल ने अपने भाषण में अन्य मुद्दों के साथ हाल ही में आए 2008 अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले के फैसले का भी जिक्र किया. पिछले महीने एक स्पेशल कोर्ट ने 49 लोगों को दोषी करार दिया, इनमें से 38 को फांसी और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इस फैसले का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा, जांच और उसके बाद आया फैसला ये बताता है कि आतंकवादी गतिविधियां कतई बर्दास्त नहीं की जाएंगी और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गुजरात सरकार का बड़ा फैसला: मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग छोड़ सभी प्रतिबंध किए खत्म
जेसन रॉय ने गुजरात टाइटंस को दिया झटका, आईपीएल 2022 से हटने का लिया फैसला
Leave a Reply