ससुराल के घर पर पत्नी का कितना हक, दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

ससुराल के घर पर पत्नी का कितना हक, दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

प्रेषित समय :16:17:23 PM / Wed, Mar 2nd, 2022

नई दिल्ली. साझे घर में निवास के अधिकार को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि साझे घर में पत्नी के रहने का अधिकार स्थायी नहीं है, खासकर जब संपत्ति के मालिक ससुरालवाले हों और वे उसे बेदखल करना चाहते हों. सास-ससुर के साथ रहने वाली एक बहू ने घर से बेदखल किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अर्जी दी थी. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत निवास का अधिकार साझा घर में अपरिहार्य अधिकार नहीं है, खासकर जब बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी हो.

उन्होंने कहा कि संयुक्त घर के मामले में संबंधित संपत्ति के मालिक पर अपनी बहू को बेदखल करने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. ससुर ने 2016 में निचली अदालत के समक्ष इस आधार पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया था कि वह संपत्ति के पूर्ण मालिक हैं, उनका बेटा किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित हो गया है और वह अपनी बहू के साथ रहने के इच्छुक नहीं हैं.

सास-ससुर शांति से रहने के हकदार

जस्टिस योगेश खन्ना ने आगे कहा कि इस केस में सास-ससुर वरिष्ठ नागरिक हैं और उनकी उम्र 74 साल और 69 साल है. अपने जीवन के इस पड़ाव पर वे शांतिपूर्वक ढंग से रहने के हकदार हैं. उन्हें अपने बेटे और बहू के बीच विवाद में परेशान नहीं किया जाना चाहिए.

लेकिन बहू को तब तक नहीं निकाल सकते

हालांकि, हाई कोर्ट ने यह भी साफ किया कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिलाओं को मिले सुरक्षा के प्रावधानों के तहत पति के अपनी पत्नी को रहने की वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराने तक उसे घर से नहीं निकाला जा सकता. महिला ने अपनी अर्जी में कहा था कि कानूनी रूप से विवाहित पत्नी होने के नाते वह अपने दो नाबालिग बेटियों के साथ एक कमरे और उसके साथ लगी बालकनी में रह रही हैं. इस घर पर मालिकाना हक सास-ससुर का है. उन्होंने याचिका में दावा किया था कि यह संपत्ति संयुक्त रूप से घर के पैसे और ससुरालवालों की पैतृक संपत्ति बेचकर खरीदी गई थी. ऐसे में यह परिवार की प्रॉपर्टी हुई और इसमें रहने का हक उसका भी है.

ट्रायल कोर्ट ने फैसला दिया था कि प्रॉपर्टी उसके ससुर ने खरीदी थी और वह बहू के तौर पर उसमें रह रही थी. अगर ससुराल पक्ष उसे रखना नहीं चाहता तो उसके पास रहने का कोई अधिकार नहीं है. पत्नी ने इस आदेश को चुनौती दी और फिर हाई कोर्ट का फैसला भी उसके खिलाफ आया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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