राजस्थान: अलवर में रेप की कोशिश के बाद दलित युवती ने दी जान, 4 दिन बाद भी खुलेआम घूम रहा आरोपी

राजस्थान: अलवर में रेप की कोशिश के बाद दलित युवती ने दी जान, 4 दिन बाद भी खुलेआम घूम रहा आरोपी

प्रेषित समय :11:49:10 AM / Tue, Mar 8th, 2022

अलवर. राजस्थान के अलवर के बहरोड़ इलाके में रेप की कोशिश करने के मामले में न्याय नहीं मिलने पर परेशान एक दलित युवती के फांसी लगाकर आत्महत्या करने का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक मकान मालिक पर युवती के साथ रेप करने का आरोप है जिसमें पीड़िता की मां समाज में बदनामी के डर से बेटी पर समझौते का दबाव बना रही थी. फिलहाल मामले की जानकारी मिलते पुलिस ने मौके पहुंचकर जांच शुरू कर दी है. बता दें कि युवती यूपी के रायबरेली की रहने वाली बताई जा रही है.

घटना के बाद पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि युवती बहरोड़ के जेनपुर बास में किराये के मकान में अपनी मां के साथ रहती थी. मामले के अनुसार मकान मालिक जीतू गुर्जर ने युवती के साथ दुष्कर्म की कोशिश की थी जिसकी युवती ने संबंधित थाने में शिकायत दी थी. वहीं इस मामले में पुलिस पर भी आरोप है कि मामला दर्ज होने 4 दिन बाद भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया और युवती को डरा-धमका कर समझौते का दबाव बनाया गया. अब भिवाड़ी एसपी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

मामले पर भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक शांतनु कुमार ने बताया कि मृतका ने मकान मालिक के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था जिसके बाद मृतका की मां और मकान मालिक जीतू गुर्जर के बीच राजीनामे को लेकर बातचीत चल रही थी लेकिन इस बीच पीड़िता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अब पुलिस दूसरे एंगल से मामले की जांच कर रही है. एसपी के मुताबिक इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. एसपी ने यह भी बताया कि युवती ने रेप करने की कोशिश का मामला दर्ज करवाया था जिसके बाद इस मामले में युवती के धारा 164 के तहत बयान लिए जाने थे लेकिन इससे पहले युवती ने जान दे दी. बताया जा रहा है कि युवती एक कंपनी में काम करती थी.

वहीं भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने आगे बताया कि घटनास्थल से युवती का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया जिसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है. उन्होंने बताया कि केस दर्ज होने के बाद भी बहरोड़ थाना पुलिस आरोपी को क्यों नहीं पकड़ सकी इस बारे में जांच के आदेश दिए हैं. बता दें कि पुलिस को जांच शुरू करने से पहले आरोपी को न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के सामने बयान के लिए पेश करना होता है. वहीं धारा 164 की उपधाराओं में मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान या किसी भी तरह की स्वीकृति आरोपी के खिलाफ एक ठोस सबूत के तौर पर आगे इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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