इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी, गुरुवार, 17 मार्च 2022 को दोपहर 01 बजकर 30 मिनट पर पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी, जो अगले दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. अत: प्रदोष काल में पूर्णिमा 17 मार्च, गुरुवार हो ही होने से होलिका पर्व इसी दिन मनाया जायेगा. किन्तु इस दिन भद्रा दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से मध्यरात्रि 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगी. धर्मसिन्धु के अनुसार होलिका दहन को भद्रा में टालकर किया जाता है. किन्तु भद्रा का समय यदि निशीथकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन (भद्रा के मुख को छोड़कर) भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल में करना श्रेष्ठ बताया गया है. यथा - निशीथोत्तरं भद्रासमाप्तौ भद्रामुखं त्यक्त्वा भद्रायामेव..
होलिकाहदन के श्रेष्ठ समय:
1. इस बार भद्रा अर्धरात्रि 01 बजकर 13 मिनट तक रहने के कारण निशीकाल (मध्यरात्रि 12 बजकर 11 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 59 मिनट तक) से आगे चली गयी है और शास्त्रों में निशीथकाल के बाद होलिकादहन वर्जित बताया गया है. अत: उपरोक्त प्रमाण के अनुसार भद्रा पुच्छकाल या प्रदोषकाल में होलिकादहन करना चाहिए. अत: होलिकादहन रात्रि 09:02 से रात्रि 10:14 के मध्य करना श्रेष्ठ होगा.
2. होलिका दहन भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 01:10 बजे ही करना चाहिए.
3. जहां पर प्रदोषकाल की परम्परा रही है वहॉं पर होलिकादहन सायं 06 बजकर 33 मिनट से सायं 06 बजकर 45 मिनट के मध्य श्रेष्ठ होगा.
Astro nirmal
जानिए कब से शुरू हो रहा है होलाष्टक, होलिका दहन से पहले न करें ये शुभ कार्य
जानकी जयंती पर अभिषेक पूजन कर मांगेंगी पति की लंबी उम्र
वसंत पंचमी तिथि पूजन मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से 12 :35 तक लाभदायक
मंगल की दशा चल रही हो तो भगवान कार्तिकेय का पूजन करें
संकष्टी चतुर्थी को सायंकाल में गणेशजी का और चंद्रोदय के समय चंद्र का पूजन करके अर्घ्य दें
Leave a Reply