नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि रेलवे की संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए जारी आदेश को लागू करने में वे पूर्ण सहयोग प्रदान करें.
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब रेलवे ने बताया कि लगभग 600 लोगों ने अतिक्रमण किया है और उसके द्वारा सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम के तहत जारी बेदखली आदेश के बावजूद स्थानीय प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा है. इस वजह से आदेश अनुपालन में विलंब हो रहा है.
रेलवे की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के सहयोग के बिना रेलवे बेदखली आदेश को लागू करने में सक्षम नहीं है. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को ड्यूटी मजिस्ट्रेट की नियुक्ति करनी होगी और आदेश के क्रियान्वयन के लिए पुलिस सहायता देनी होगी.
शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 11 अप्रैल के लिए स्थगित करते हुए कहा कि सूचना और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए उसके आदेश की प्रति फरीदाबाद नगर निगम के आयुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को अग्रसारित की जाए.
रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर जताई थी नाराजगी
करीब तीन पहले रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा था कि अधिकारियों की राजनीतिक मजबूरियां हो सकती हैं लेकिन यह करदाताओं का पैसा हो जो नाली में जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें हरियाणा और गुजरात में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का मुद्दा उठाया गया है.
पीठ ने कहा था कि नगर निगम, राज्य सरकार और रेलवे के बीच इन मामलों में तालमेल नहीं नजर आ रहा है. चूंकि यह सार्वजनिक हित का मामला है इसलिए परियोजना तुरंत आगे बढऩी चाहिए. पीठ ने कहा था कि आप इस समस्या से कैसे पार पाएंगे? हम आपसे जानना चाहते हैं. कोई राजनीतिक बयान देने की मंशा के बिना, इन तीनों स्तरों पर सरकार ट्रिपल इंजन है और रेलवे इसमें अपना इंजन चला नहीं पा रहा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अब हाईटेक होगी दिल्ली पुलिस, वर्दी पर लगे कैमरे में कैद होगी हर गतिविधि
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